उत्तराखंड सरकार ने अखाड़ों को हटाने के लिए मांगा समय

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नैनीताल। उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गत चार मार्च को सरकार को निर्देश दिये थे कि प्रदेश में सन् 2009 के बाद सार्वजनिक स्थलों पर अवैध ढंग से बनाये गये सभी धार्मिक संरचनाओं को 23 मार्च 2020 तक हटायें और इसकी अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करें। इसी क्रम में सरकार की ओर से यह रिपोर्ट हाल अदालत में पेश की गयी है। उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थलों पर निर्मित्त सभी अवैध धार्मिक ढांचों को हटा लिया गया है जबकि हरिद्वार में सरकारी भूमि पर निर्मित्त चार बड़े मंदिरों (अखाड़ों) को नहीं हटाया जा सका है। सरकार ने चारों अखाड़ों को हटाने के लिये उच्च न्यायालय में कानून व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए महाकुंभ तक का समय मांगा है।
राज्य सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया है कि हरिद्वार जनपद को छोड़कर देहरादून, नैनीताल, उत्तरकाषी, चंपावत, टिहरी, अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी, बागेष्वर, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ व ऊधमसिंह नगर जनपदों में सन् 2009 के बाद सार्वजनिक स्थलों, रास्तों एवं पार्कों में अवैध रूप से निर्मित्त सभी अवैध धार्मिक स्थलों को हटा लिया गया है। ऊधमसिंह नगर जनपद में एक गुरूद्वारा को अदालत में मामला लंबित होने के चलते नहीं हटाया जा सका है।
हरिद्वार जनपद के संबंध में अदालत में पेश अनुपालन रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले में कुल 40 अवैध धार्मिक स्थल चिन्हित किये गये थे और जिला प्रशासन की ओर से 36 स्थलों को हटा लिया गया है। ये सभी सिंचाई विभाग व लोक निर्माण विभाग की भूमि पर अवैध ढंग से निर्मित्त थे। इनमें से 23 सिंचाई विभाग की भूमि पर बनाये गये थे और जिनमें से 19 को तोड़ दिया गया है। लोक निर्माण विभाग की भूमि पर निर्मित्त पांच मंदिरों को भी तोड़ दिया गया है।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से पेश अनुपालन रिपोर्ट में कहा गया है कि हरिद्वार जनपद में जिन चार बड़े धार्मिक स्थलों को नहीं हटाया जा सका है वे हैं महंत राजेन्द्र दास निर्मोही अखाड़ा, निर्माणी आदि अखाड़ा, भैयादास दिगंबर अखाड़ा व निरंजनी अखाड़ा। ये सिंचाई विभाग की भूमि पर वैरागी कैम्प में निर्मित्त हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निर्मोही अखाड़ा 182.25 वर्गमीटर, निर्माणी अखाड़ा 273 वर्गमीटर, दिगंबर अखाड़ा 16.81 व निरंजनी अखाड़ा 37.44 वर्गमीटर भूमि में निर्मित्त हैं।
ये सभी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नियंत्रण में हैं और इनको हटाने से कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। तीन महीने बाद हिन्दुओं का महापर्व महाकुंभ शुरू हो रहा है और सभी अखाड़ा इसमें महत्वपूर्ण तरीके से भाग लेते हैं। सरकार की ओर से आगे कहा गया है कि वर्तमान में कोविड-19 महामारी का दौर चल रहा है और इनको हटाने से जनता में विरोध शुरू हो सकता है और भीड़ के एकत्र होने से महामारी पर नियंत्रण पाना असंभव होगा। सरकार की ओर से महाकुंभ को देखते हुए इन्हें हटाने के लिय 31 मई 2021 तक का समय उच्च न्यायालय से मांगा गया है।

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