मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। हमीरपुर जिले में बैंक और साहूकारों के कर्जे में डूबे किसान ने रविवार की सुबह अपने ही खेत में जहरीला पदार्थ खा लिया।
गंभीर हालत में परिजन उसे लेकर सीएचसी आए थे, जहां डेढ़ घंटे तक डॉक्टर की प्रतीक्षा में किसान की जान चली गई। मरने के बाद किसान के रेफर पेपर थमा दिए गए। इससे नाराज परिजनों ने जमकर हंगामा काटा। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। हमीरपुर की सदर कोतवाली क्षेत्र के बिगवां गांव निवासी कुंवरलाल अहिरवार (45) चार बीघा का काश्तकार है। दो बच्चों के पिता कुंवरलाल को पुत्र रामनाथ और पुत्री साधना के विवाह के लिए गांव के साहूकारों से कर्जा लेना पड़ा था। इन दोनों की शादी कुंवरलाल ने दो साल के अंतराल में की थी। किसान के भाई जयपाल ने बताया कि उसने आर्यावर्त बैंक गोहाण्ड से नब्बे हजार का किसान क्रेडिट कार्ड भी बनवा रखा था। साहूकारों और बैंक दोनों का कर्जा कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा था। जिसकी चिंता में कुंवरलाल डूबा रहता था।जयपाल ने बताया कि रविवार की सुबह सात बजे के आसपास कुंवरलाल अपने खेतों की ओर गया था, जहां उसने जहरीला पदार्थ खा लिया। उसे उल्टियां करते देख बबलू ने परिजनों को सूचना दी। जिसके बाद परिजन मौके पर पहुंचे और कुंवरलाल को उठाकर सीएचसी लेकर पहुंचे। जहां कोई भी डॉक्टर नहीं था। मौके पर मिले वार्ड ब्वॉय ने कुंवरलाल के वीगो लगाकर ग्लूकोज की बोतल लगा दी। डेढ़ घंटे तक अस्पताल में ही कुंवरलाल की बगैर इलाज के तड़प-तड़पकर मौत हो गई। मौत के बाद अस्पताल ने उसके रेफर पेपर परिजनों को थमा दिए। जिससे नाराज परिजनों ने जमकर हंगामा काटा। सूचना मिलते ही कोतवाली से पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गया और परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया।इस संबंध में सीएचसी के अधीक्षक डॉ.आरके कटियार का कहना है कि कोविड-19 की वजह से अस्पताल के तीन डॉक्टरों की कुरारा सीएचसी में ड्यूटी लगी हुई है। सीएचसी में उनके अलावा एक और डॉक्टर है। ऐसे में मरीजों के इलाज में दिक्कतें आ रही हैं।