24 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। यूपी के मिर्जापुर में लालगंज निवासी तीन चचेरे भाइयों की विंध्याचल के लेहड़िया बंधी में डूबने से मौत नही हुई थी बल्कि उनकी हत्या की गई है। इस बात की पुष्टि दो डॉक्टरों की पैनल द्वारा किये गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई है।
बताया जा रहा है कि आंखें फोड़कर और गले पर धारदार हथियार से वार कर हत्या हुई है। पुलिस इसी रिपोर्ट के आधार पर घटना का पर्दाफाश करने में जुट गई है।रात दो बजे से सुबह छह बजे तक चले पोस्टमाटर्म के दौरान पाया गया कि किशोरों की डूबने से मौत नही हुई है। उनकी हत्या हुई है। उनके चेहरे पर चोट के निशान पाए गए है। इससे कहा जा रहा है कि उनके चेहरे पर हमला करके उन्हें मारा गया है। एडीजी जोन वाराणसी ब्रज भूषण, आईजी पीयूष श्रीवास्तव, जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल व पुलिस अधीक्षक अजय कुमार सिंह ने गुरुवार की दोपहर घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद मृतक के परिजनों से मिलकर मामले में पूछताछ की। एडीजी जोन ने आईजी से तत्काल घटना का अनावरण कराने का निर्देश दिया। लालगंज थाना क्षेत्र के बामी गांव निवासी कक्षा आठ के छात्र शशांक तिवारी(14) पुत्र राकेश तिवारी, शिवम(14) पुत्र राजेश तिवारी, हरिओम(14) पुत्र मुन्ना तिवारी मंगलवार की दोपहर एक साथ धसड़ा के जंगल में बेर खाने गए थे। वो देर शाम तक घर वापस नहीं आए थे।उनके घर न आने पर परिजनों को चिंता हुई तो वे जंगल में ढूंढने गए। देर रात पता न चलने पर परिजन घर लौट आए। सुबह होने पर परिजनों ने खोजबीन करने के साथ ही पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने खोजबीन की तो बुधवार की दोपहर बाद तीनों के कपड़े विंध्याचल थाना क्षेत्र के लेहड़िया जंगल की बंधी के भीटे पर मिले। परिजनों ने पुलिस की मदद से बंधी में खोजबीन की तो तीनों के शव बरामद हो गए। बच्चों के गले में चोट के निशान देखकर परिजनों ने हत्या की आशंका जताई थी। इसके बाद डॉक्टरों के पैनल व वीडियोग्राफी में तीनों बच्चों का पोस्टमार्टम कराया गया। लेहडिय़ा बंधी के पानी में अगर तीनों बालक डूबे थे तो 24 घंटे बाद भी उनका शव फुले हुए नहीं थे। उनका शव एकदम ताजा नजर आ रहा था। लग रहा था कि रात में इनका अपहरण कर भोर में इनको मारा गया और शव लाकर बंधी में फेंका गया। उनकी आंखें फोड़ी गई और गले में चोट के निशान हैं। बालकों का शव देखकर लग रहा था कि हत्यारों से बचाव के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया था। तीनों बालकों का शव देखकर यही कहा गया कि तीनों बालकों ने हत्यारों से काफी संघर्ष किया होगा। बालकों को काफी यातनाएं देकर मारा गया है। परिवार के मुताबिक उनको पहले काफी देर तक मारा-पीटा गया। इसके बाद उनकी हत्या कर आंखें निकाल ली गईं हैं। फिर शव को नदी में फेंक दिया गया। कपड़े को इसलिए बाहर रख दिया गया ताकि लोग तीनों की डूबने से मौत समझें। परिजनों ने तीनों बालकों की जघन्य हत्या किए जाने की आशंका जताई है।तीनों आपस में चचेरे भाई थे। राजेश तिवारी को दो लड़कों में सुधांशु सबसे बड़ा था जबकि आर्यन छोटा भाई व बहन निधि हैं। राकेश तिवारी को दो पुत्र व एक पुत्री में शिवम सबसे बड़ा था, छोटा शिवांश व बहन खुशी है। आर्मी से अवकाश ले चुके मुन्नालाल तिवारी को दो पुत्र व एक पुत्री में हरिओम सबसे बड़ा था। छोटा निशांत व बहन डाली है। राकेश कुमार तिवारी व मुन्नालाल तिवारी दोनों सगे भाई हैं जबकि राजेश तिवारी चचेरे भाई हैं।