…….घर मेरा फिर से मकान बन गया, तेरे जाने के बाद,

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पुरुष के जीवन में नारी का महत्व

तेरे जाने के बाद,
जब आईने में खुद को देखा, तो तुझको पाया,
अपने ढुलकते अश्रुओं को, रोक ना पाया,
मन विह्वल,विचलित हो गया,
कुछ छूट गया, कुछ टूट गया,
घर मेरा फिर से मकान बन गया,
तेरे जाने के बाद,
तेरी अलमारी को खोला तो,
 ढेर सारी रंगीन साड़ियों का अंबार,
 उस में बसी तेरी खुशबू ,
मानो तू मेरे सामने फिर से आ गई,
तेरी पायल की झंकार, तेरी चूड़ियों की खनक,
तेरा वह रूठने का अंदाज,
रसोई से आती, तेरे खाने की खुशबू,
अब तो सब बेस्वाद हो गया,
तेरे जाने के बाद ,
मैं जिम्मेदार सा हो गया हूं,
अब मैं खींजता भी नहीं, रूठता भी नहीं,
 हां! रूठू तो मनाएगा कौन?
जीवन तो है, पर मैं जीवंत नहीं,
 तेरे जाने के बाद,
जिंदगी एक बोझ सी लगने लगी है,
बच्चे धीरे-धीरे सीख रहे जीना,
पहले तूने थामी थी उंगली उनकी,
अब मैं थामें खड़ा हूं ,
अपनी परछाई में तुझको पाता हूं,
 देखता हूं जब बिटिया को अपनी,
 तो तेरी छवि पाता हूं ,
देता हूं आशीष!उसे,
वह तेरी जैसी ही रहे,
निश्चल,निर्मल,चंचल,
तेरे जाने के बाद,
खुद को खोकर, तुझको पाता हूं,
तेरे जाने के बाद।
डॉ. ऋतु नागर

मां के आंचल में छुप जाऊं , बाबा की बाहों में समा जाऊं,दो पल के लिए ही सही उस बचपन में लौट जाऊं

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