चीन की आपत्तियों को ख़ारिज कर दिया भारत ने

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नयी दिल्ली। भारत ने देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी नियमों में बदलाव किये जाने पर चीन की आपत्तियों को ख़ारिज कर दिया है और कहा है कि देश में एफडीआई पर कोई रोक नहीं लगायी गयी है, केवल सरकार की मंजूरी का रास्ता अख्तियार किया गया है और ऐसा कई देश कर रहे हैं।

सरकार द्वारा विदेशी पूंजी निवेश संबंधी नियमों में बदलाव कर भारत से लगी ज़मीनी सीमाओं वाले देशों से आने वाले निवेश को स्वत: मंजूरी की बजाय सरकार की मंजूरी लेने का प्रावधान किया है जिस पर भारत में चीन के दूतावास ने आपत्ति की थी और उसे जी-20 देशों की भावना और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया था।

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सूत्रों ने कहा कि प्रक्रियागत बदलावों को लेकर किसी को कोई चिंता नहीं होनी चाहिए क्योंकि उससे सीमा वाले पड़ोसी देशों से निवेश को निषिद्ध नहीं किया गया है। केवल इतना बदलाव किया गया है कि एफडीआई के प्रस्तावों को स्वत: मंजूरी मिलने की बजाय सरकार से स्वीकृति लेनी होगी। ऐसा निर्णय लेने वाला भारत कोई अकेला देश नहीं है, ऐसा कई देशों ने किया है।

कोविड-19 महामारी के उत्तरदायित्व को लेकर जारी अंतरराष्ट्रीय आरोप-प्रत्यारोप में भारत का पक्ष पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि इस समय महामारी की चुनौती का सामना करना अधिक महत्वपूर्ण है। एक बार महामारी को हरा दें तब हम इस सवाल पर गौर कर कर सकते हैं।

उधर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि भारत ने बीते दो सप्ताह में चीन के पांच शहरों से करीब दो दर्जन उड़ानें भर कर 400 टन मेडिकल आपूर्ति प्राप्त की है जिसमें आरटी पीसीआर टेस्ट किट, रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट, पीपीई किट्स, थर्माेमीटर आदि शामिल हैं। भारत 20 और उड़ानें भरेगा तथा आने वाले कुछ माह में चीन से सामग्री हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि भारत कुछ विदेशी एजेंसियों से कोविड -19 को लेकर अनुसंधान एवं विकास के प्रयासों में भी गठजोड़ का प्रयास कर रहा है।

श्री श्रीवास्तव ने बताया कि दक्षिण कोरिया की एक कंपनी के भारतीय उपक्रम ने हरियाणा के मानेसर में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का उत्पादन शुरू कर दिया है जिसकी क्षमता पांच लाख किट प्रति सप्ताह है। उन्होंने बताया कि छह एसयूवी आकार की हाईस्पीड टेस्टिंग मशीनों को अमेरिकी कंपनी रोशे से खरीदा जा रहा है। इसके अलावा भारतीय अनुसंधान प्रयोगशालायें इजरायल और जर्मनी की अत्याधुनिक तकनीक पर काम करने वाली प्रयोगशालाओं के संपर्क में हैं।

भारत से विदेशों को भेजी जा रही मदद के बारे में प्रवक्ता ने बताया कि हमने पड़ोसी एवं हिन्द महासागर के देशों, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, मध्य एशिया, यूरेशिया और उत्तर अफ्रीकी एवं पश्चिमी एशिया के देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की 50 लाख गोलियां उपहार के रूप में भेजी हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने इसके अलावा पड़ोसी देशों एवं साझीदार देशों को पैरासिटामॉल की 13.2 लाख गोलियां दी हैं। इन दवाओं के अलावा अन्य आवश्यक दवायें और जीवन रक्षक एंटीबॉयोटिक दवायें, मेडिकल सामग्री एवं उपकरण आदि भी उपलब्ध कराये हैं। इन सबकी कुछ कीमत 38.3 करोड़ रुपये है।

उन्होंने बताया कि इनके अलावा सरकार ने 40 देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की 28.5 करोड़ गोलियां तथा 60 देशों को पैरासिटामॉल की 50 करोड़ गोलियां वाणिज्यिक आधार पर देने की स्वीकृति प्रदान की है। भारत ने मालदीव और कुवैत को रैपिड रिस्पांस मेडिकल टीमें भेजीं हैं।

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