उत्तर प्रदेश में प्रदुषण और उसके नियंत्रण व सुगम विकास में उद्योग की भूमिका
“जिम्मेदार व्यवसाय, बेहतर दुनिया”
20 फरवरी, 2021
पी एच डी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के उत्तर प्रदेश चैप्टर ने 20 फरवरी 2021 को “उत्तर प्रदेश में प्रदुषण और उसके नियंत्रण व सुगम विकास में उद्योग की भूमिका” पर एक इंटरैक्टिव वेबिनार सत्र का आयोजन किया।
सत्र का मुख्य उद्देश्य उद्योगों के लिए कई प्रदूषण निवारक उपायों का पता लगाना था और वायु / जल प्रदूषण और नियंत्रण के क्षेत्र में अपनाए गए समाधानों को प्रस्तुत करना था।
श्री दारा सिंह चौहान, माननीय कैबिनेट मंत्री पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने संबोधन में पीएचडी चैंबर को इस इंटरएक्टिव वेबीनार का आयोजन करने के लिए बधाई दी उन्होंने कहा श्री आदित्य योगी नाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता इज ऑफ डूइंग बिजनेस है और इस को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण विभाग एवं यूपीपीसीबी ने लाइसेंस रजिस्ट्रेशन एवं रिन्यूअल की प्रक्रिया को बहुत ही सरल कर दिया है तथा ऑनलाइन क्लीयरेंस की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है उत्तर प्रदेश सरकार ड्रिप इरिगेशन में 90% स्प्रिंकल सब्सिडी किसानों को भी दे रही है |
इस साल उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 करोड़ पेड़ भी लगाए हैं तथा आने वाले साल का लक्ष्य 30 करोड़ रखा है आदरणीय मंत्री जी ने श्री संजय अग्रवाल जी द्वारा दिए गए सुझावों जैसे प्राइवेट कंजर्वेशन तथा वेस्ट मैनेजमेंट और डॉक्टर खेतान द्वारा दिए गए सुझाव जैसे जल संरक्षण की प्रक्रिया के लिए परीक्षण दिए जाए इन सुझावों पर पर्यावरण विभाग गंभीर रूप से विचार करेगा |
अंत में उन्होंने पीएचडी चैंबर से निवेदन किया कि पीएचडी चेंबर की तरफ से सारे सुझावों को लिखित रूप में उनके विभाग में दे दे |
डॉ अनूप चन्द्र पाण्डेय, मेम्बर, NGT निरीक्षण समिति उत्तर प्रदेश ने अपने संबोधन में उद्योगों द्वारा पर्यावरण संरक्षण में आने वाली समस्याओं पर विस्तार में चर्चा की तथा सरकार की नीतियों में सुधार करने के लिए सुझाव देते हुए कहा उत्तर प्रदेश सरकार को इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को अधिक से अधिक सुविधाएं देनी चाहिए और सरकार को कम से कम निरीक्षण तथा अधिक से अधिक निगरानी करने की सुविधा देनी चाहिए उन्होंने हर इंडस्ट्री में STP लगाना अनिवार्य बताया |
उन्होंने माननीय मंत्री जी से अनुरोध किया कि पे बैक पॉलिसी एवं जागरूकता अभियान तथा उद्योगों के लिए ग्रीवांस फोरम बनाने के लिए सुझाव दिया |
डॉ आर के सिंह, रीजनल डायरेक्टर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा पर्यावरण संरक्षण आज की समय की आवश्यकता है और उद्योगों से कहा अपव्यय के इलाज के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करें इससे पहले कि वह एक बड़ी समस्या बन जाए इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है और हमें हमेशा कम से कम अपव्यय करने की कोशिश करते हुए अपव्यय को एक स्रोत बनाने की कोशिश करनी चाहिए |
उद्योगों को नई तकनीकियो, योजनाओ, सभी समस्याओं का उपाय तथा सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं की जानकारी CCPB (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) की वेबसाइट से ले सकते हैं |
श्री आशीष तिवारी, मेम्बर सेक्रेटरी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि एक उद्योग का अपव्यय दूसरे उद्योग के लिए कच्चा माल कैसे बना सकते हैं उन्होंने बताया कि पानी को पुनः उपयोग में लाने को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को सीसीपी बहुत आवश्यक है तथा सेल्फ ऑडिट सिस्टम के महत्व के बारे में बताते हुए कहा सरकार ने सेल्फ डस्ट ऑडिट सिस्टम की शुरुआत कर दी है |
श्री संजय अग्रवाल पीएचडी चैम्बर ने अपने संबोधन में कहा कि आज कल बढ़ता शहरीकरण और बिगड़ती वायु और पानी की गुणवत्ता उत्तर प्रदेश में सबसे खतरनाक स्वास्थ्य समस्या है। उद्योगों से उत्पन्न होने वाले खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों से पर्यावरण की सुरक्षा हेतु उनके वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण के लिए उन्नाव, बुलन्दशहर, लखनऊ, मुरादाबाद, सोनभद्र और आगरा जनपदों में पर्यावरणीय दृष्टि से उपयुक्त स्थलों के चयन का कार्य पूर्ण कराया जा चुका है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदूषण को नियंत्रण में रखने और राज्य में सतत विकास की दिशा में लगातार काम कर रहा है। तकनीकी नवाचारों के साथ, औद्योगिक परिस्थिति की योजनाओ उत्पादन कर्मियों और उद्योगपतियों के दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता होती है। आज, परिप्रेक्ष्य में बदलाव धीरे-धीरे उभर रहा है और उद्योग खुद को अधिक कुशल, कम खर्चीला और अधिक पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए नए कदम शुरू कर रहा है।
डॉ ललित खेतान, चेयरमैन -, पी एच् डी चैम्बर ,यूपी स्टेट चैप्टर, ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हरा-भरा पर्यावरण और समाज पर इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करना राज्य के उद्योगों के लिए अनिवार्य है, और इस क्षेत्र के विकास को बनाए रखना भी राज्य के उद्योगों की जिम्मेंदारी हैं। हाल के दशकों में पर्याप्त वृद्धि के बावजूद, औद्योगिक क्षेत्र अभी तक राज्य के विकास में अपना पूर्ण योगदान नहीं दे पाया है। औद्योगिकीकरण के साथ बढ़ते संसाधन उपयोग, अपशिष्ट और प्रदूषण के सीमित विचार ने बढ़ते आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक लागतों को लागू किया है । नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, कानपुर और लखनऊ जैसे आस पास औद्योगिक क्षेत्र हैं। । इसी समय, खराब पर्यावरण प्रबंधन उद्योगों के लिए एक दायित्व बन गया है, जो विशेष रूप से निर्यात उन्मुख विनिर्माण क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धा को कम करता है तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ सुझाव भी दिए ।
पी एच डी चैंबर के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल डॉ. रंजीत मेहता एवं श्री अतुल श्रीवास्तव, रेजिडेंट डायरेक्टर ने सत्र को अच्छी तरह से संचालित किया।
श्री मुकेश सिंह, सीनियर एडवाइजर, पी एच डी चैम्बर उत्तर प्रदेश ने सभी प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को इस सार्थक सत्र के लिए अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
वेबिनार में बहुत अच्छी तरह से बातचीत हुई और पी एच डी चैंबर के 300 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया।