मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में आज 28 साल बाद लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने अपना फैसला सुनाया। अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, सीबीआई के विशेष जज ने अपने फैसले में माना कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और घटना अचानक हुई थी।
अदालत में 26 आरोपी मौजूद थे, जबकि 6 आरोपी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत की कार्यवाही में शामिल हुए। इस मामले के आरोपियों में से विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल सहित 17 आरोपियों की हो चुकी है मृत्यु।न्यायालय ने अपने निर्णय में अभियोजन साक्षी न. 9 अंजू गुप्ता के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि उपरोक्त साक्षी ने अपने बयान में माना है की कार सेवकों की भीड़ में कुछ अपराधी और डकैत भी आ गए थे।न्यायालय ने अपने निर्णय में सीबीआई द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य समुचित साक्ष्य ना मानते हुए यह टिप्पणी की है की वीडियो कैसेट्स में टेंपरिंग की गई है और वह सील भी नहीं थी। न्यायालय ने सीबीआई द्वारा प्रस्तुत किए गए फोटोग्राफ्स के बारे में ये कहा है कि सीबीआई ने साक्ष्य के रूप में फोटोग्राफ्स के नेगेटिव प्रस्तुत नहीं किए। न्यायालय ने 65 एविडेंस एक्ट का हवाला देते हुए आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बाइज्जत बरी किया है। निर्णय में माननीय न्यायालय ने ये कहा है कि 6 दिसंबर 1992 को घटना पूर्व नियोजित नहीं थी ।12:00 बजे दिन में सब कुछ ठीक-ठाक था , परंतु 12:00 बजे के बाद ढांचे के पीछे से पत्थरबाजी शुरू हुई जो अराजक तत्वों के द्वारा की गई ।श्री अशोक सिंघल का जिक्र करते हुए न्यायालय ने यह कहा है कि वह कार्य सेवकों से संयमित रहने की अपील कर रहे थे एवं कार सेवा में जल एवं बालू का प्रयोग करके कार्य सेवा करने की बात सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार किए थे। जिससे कार्य सेवकों के दोनों हाथ फंसे हुए रहे। परंतु कुछ अराजक तत्वों ने कारसेवकों के भेष में ढांचे पर आक्रमण कर दिया और यह भी ख्याल नहीं किया कि ढांचे के नीचे रामलला का मंदिर है। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है की इंटेलिजेंस की रिपोर्ट पहले से थी कि कुछ आतंकवादी या अराजक तत्व अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं। न्यायालय ने सभी अभियोजन साक्ष्य के बयान के आधार पर ये पाया कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपरोक्त घटना में किसी आरोपी का कोई योगदान नहीं है। सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया है।जीवित 32 आरोपियों में से 26 आरोपी ही अदालत में मौजूद रहे। साक्षी महाराज, साध्वी ऋतभंरा, विनय कटियार, चंपत राय, वेदांती, पवन पांडेय, आचार्य धर्मेन्द्र देव सहित 26 आरोपी आज अदालत में उपस्थित थे।जो 6 आरोपी अदालत में नहीं आए उनमें पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, महंत नृत्य गोपाल दास, सतीश प्रधान एवं पूर्व मुख्यमंत्री/राज्यपाल कल्याण सिंह के नाम शामिल है।इन लोगों को बीमारी वह कोरोना के चलते अदालत में मौजूद होने की छूट दी गई थी, इन लोगों ने घर से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत का फैसला सुना। कुल 351 अभियोजन साक्षी पेश हुए।
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