यादो के साए से हमें निकलना होगा
आने वाले जीवन के अनुरूप ढलना होगा
छूट गया जो पीछे वो स्मृतियां हैं
अपने ही खौफ से हमें लड़ना होगा
वो जो सामने बाहें फैलाए वर्तमान है
हमें उसमें सिमटना होगा
भविष्य की चिंताओं से हमें उबरना होगा
जीने का ढंग हमें बदलना होगा
खुद भी खुश रहना, औरों को खुश रखना होगा
यादों के साए से हमें निकलना होगा।
डॉ. ऋतु नागर
Advertisment
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें।
सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।