विकास दुबे को नकदी, रिवॉल्वर व भागने के लिये गाड़ियां उपलब्ध कराने के आरोप में जेल भेजा गया!

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। पंद्रह दिन तक साथ रखने के बाद आखिरकार कानपुर नगर पुलिस ने विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी व प्रशांत शुक्ला उर्फ डब्लू को गिरफ्तार दिखा कर जेल भेज दिया।

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जय बाजपेयी व उसके साथी प्रशांत शुक्ला को नजीराबाद पुलिस द्वारा विकास दुबे को नदकी देने, कारतूसों की मदत करने व भागने में गाड़ियों का सहयोग करने के आरोप में जेल भेजा गया है। वारदात से एक दिन पहले एक जुलाई को विकास ने जय को फोन किया था। दो जुलाई को घटना से पहले जय बिकरु गांव में विकास के पास गया था।

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उसने विकास दुबे को 2 लाख रुपये, रिवाल्वर व 25 कारतूस दिए थे। पुलिस ने जय पर आर्म्स एक्ट का मामला भी लगाया। जय बाजपेयी वारदात के बाद विकास और उसके गैंग को भगाने की प्लांनिग में था शामिल। एसटीएफ को जब सुराग लगा कि जय ही विकास का कोषाध्यक्ष है तो उन लोगों ने जय को चार जुलाई को ही 3 लग्जरी गाड़ियों समेत पकड़ लिया था।लेकिन हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद जय बाजपेई को देर रात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उस पर विकास को कारतूस सप्लाई करने की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही मुठभेड़ में मारे जा चुके बउवन के जीजा डब्बू को भी दबोच लिया गया। दोनों के खिलाफ षड्यंत्र रचने और आर्म्स एक्ट की धारा में एफआईआर दर्ज की गई है। सोमवार को कोर्ट में पेश करने के बाद इन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस जय को हिरासत में लेकर कई दिनों से पूछताछ कर रही थी। चंद वर्षों में चार हजार रुपए की नौकरी से अरबपति बने जयकांत की संपत्तियों, बैंक खातों और नकद लेन-देन की जांच आयकर विभाग की बेनामी विंग (शाखा) और आयकर निदेशालय (जांच) ने शुरू कर दी है। इतने दिनों की पूछ-ताछ के बाद अभी तक जय के दो और उसकी पत्नी के एक खाते को जांच के दायरे में लिया गया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और विजया बैंक के खातों के अलावा बेनामी अकाउंट्स की भी जांच की जा रही है। इसके तहत उसके भाई रजय बाजपेई और परिवार के खातों को भी खंगाला जाएगा। जय से कारोबारी लेन-देन करने वाले 7 और लोगों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। इन सभी का जयकांत बाजपेई के साथ नियमित लेन-देन था। इन लोगों का जय के साथ बैंक खातों के अलावा नकदी का भी उपयोग किया जाता था। आयकर निदेशालय जय की विदेशों में संपत्ति की जड़ें तलाश रही है। टीम को इस बात का अंदेशा है कि यह सौदा बेनामी खातों और हवाला नेटवर्क के जरिए किया गया है। आयकर टीम उन खातों और हवाला रैकेट तक पहुंचने की कोशिश करेगी। विदेशी संपत्तियों की छानबीन में छोटा सा सुराग हाथ लगते ही फेमा के तहत कारवाई की तैयारी भी की जा रही है। विभाग इस बात की भी जांच कर रहा है कि विदेशों में यदि संपत्ति खरीदी गई तो पैसे कैसे ट्रांसफर किए गए। संपत्ति खरीद में लेन-देन के स्रोत तलाशे जाएंगे। अभी तक जय के बैंक खातों से इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि पैसे विदेशों में भेजे गए हों। अधिकारियों को संदेह है कि विदेशों में पैसा खपाने के लिए हवाला रैकेट का इस्तेमाल किया गया है। जय से पूंछा जाएगा कि  कानपुर में खरीदी गई सम्पतियों के स्रोत क्या है? इसकी जांच अलग टीम कर सकती है।साथ ही 50हजार रुपए सालाना कमाने कमाने वाला व्यक्ति7साल में 12 लाख का आईटीआर कैसे भरने लगा। इसे भी जांच में शामिल किया गया है। आयकर विभाग उन जांच रिपोर्टों पर भी गौर कर सकता है जो स्थानीय प्रशासन की ओर से बीच में कराई गई थी।

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