विलुप्तप्राय जुजुराणा पक्षी जंगल में छोड़ा गया

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शिमला।  जुजुराणा को वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की लाल सूची में दर्ज एक विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा एक हिमालयी फीजेंट है। विश्व में जुजुराणा का जंगल में सफल पुनस्र्थापन का यह पहला प्रयास है। शिमला जिले की सराहन पक्षीशाला के दारनघाटी वन्य प्राणी शरण्यस्थल की सराहन वन्य प्राणी बीट के सरखान क्षेत्र में जुजुराणा पक्षी के दो व्यस्क जोड़ाेें को चूज़ों सहित सफलतापूर्वक जंगल में छोड़ा गया। वन, युवा सेवाएं एवं खेल मन्त्री राकेश पठानिया ने वीरवार को यहां से आनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
वन मन्त्री ने वीरवार को बताया कि सराहन स्थित पक्षीशाला में जुजुराणा के संरक्षित प्रजनन की योजना कार्यान्वित की जा रही है। अक्तूबर 2019 में जडगी में जुजुराणा के संरक्षित प्रजनन के लिए छह प्रजनन युग्मों को रखा गया। पिछले कुछ सालों में व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक प्रबंधन से सराहन पक्षीशाला में जुजुराणा की 46 पक्षियों की स्वस्थ व सक्षम आबादी स्थापित की जा चुकी है।
राकेश पठानिया ने इस अवसर पर शिमला में बन्दरों की समस्या के निवारण के लिए एक विशिष्ट हेल्पलाईन नम्बर 1800-4194575 का भी आनलाइन उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि लोगों की वन्य प्राणियों से संबन्धित समस्याओं को तुरन्त विभाग तक पहुंचाने के लिए इस टाॅल फ्री नम्बर की सुविधा आरंभ की गई है। शिमला के टूटीकंडी बचाव और पुनर्वास केन्द्र में इसका नियन्त्रण कक्ष स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वयं भी लोगों की शिकायतों का डैशबोर्ड पर निरीक्षण करेंगे।
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