सत्य को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती

1
3883
सत्यम शिवम् सुन्दरम्

प्रेरणाप्रद कहानी: सत्य को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती 

सत्यम शिवम् सुन्दरम्

किसी शहर में एक धनवान सेठ रहता था। उसका नाम महेश था। उसका एक पुत्र था। वह पढ़ाई में बहुत अच्छा था, परंतु उसे धनवान होने का बहुत घमंड था। पिता समय-समय पर उसे समझाने का प्रयास करता था, ताकि वह सही रास्ते पर चलने लगे। उस पर पिता की बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। एक दिन वक्त ने करवट ली, उसके पिता की मृत्यु हो गई, वह बहुत दुखी हुआ, पर अब प्रसन्नता से घूमने फिरने लगा, क्योंकि अब उसे रोकने टोकने वाला कोई नहीं था। धीरे-धीरे वह बिगड़ने लगा, उसकी समस्त धन दौलत समाप्त हो गई। ऐसी स्थिति में उसके सभी साथी उसे छोड़ कर चले गए। एक दिन हताश निराश बैठा था, तभी साधुओं का एक समूह वहां से गुजर रहा था। साधु उसकी ऐसी दुखद स्थिति देखकर बहुत द्रवित हो गए। उसे अपने साथ ले गए। साधु महात्मा की संगत में रहने के कारण उस में सकारात्मक बदलाव आए। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। वह भले लोगों के साथ बैठता, भलाई की बात बातें भी करता, परंतु उसके मित्रों का उस पर से विश्वास हट चुका था, इसलिए कोई उससे बात नहीं करता था। एक दिन उसने अपनी समस्या एक महात्मा से बतायी। महात्मा ने उसे समझाते हुए कहा कि तुम पहले बुरे थे, इसलिए तुम्हें लोग बुरा कहने लगे, अब यदि तुम सत्य के रास्ते पर चल रहे हो तो लोगों को कुछ समय बाद अपने आप पता चल जाएगा। महेश ने महात्मा से कहा कि महात्मा, मुझे अब क्या करना चाहिए। महात्मा ने कहा कि  लोग क्या कह रहे हैं, इससे बेफिक्र हो। तुम स्वावलंबी बन धर्म पथ पर चलो, आत्मविश्वास की भावना से युक्त होकर यदि तुम आगे बढ़ोगे तो एक न एक दिन तुम असंभव को भी संभव कर दोगे। तुम्हें लोगों व मित्रों के समक्ष जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। स्वयं ही तुम्हारे पास आएंगे। महात्मा की वाणी सुनकर महेश के अंदर नई चेतना का संचार हुआ। वह सत्कर्म परोपकार की भावना से निमग्न होकर आगे बढ़ने लगा। कुछ महीनों के अंतराल में वह कब अपने मित्रों व समाज में प्रिय बन गया । उसे पता तक नहीं चला। किसी ने सच ही कहा है कि प्रयत्न द्वारा सब कुछ संभव है, यदि हम सच्चे हैं तो इसके लिए हमें प्रमाण की आवश्यकता नहीं, क्योंकि सत्य सबसे बड़ा प्रमाण है।

प्रस्तुति- डॉ मीना शर्मा। 
Advertisment
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here