ग्वालियर के तेज नारायण बेचैन को ‘लन्तरानी सम्मान’
लकी ड्रा में नकद पुरस्कार पाकर खिल उठे श्रोताओं के चेहरे
लखनऊ, 1 अप्रैल। कहकहे, तालियां, ठहाके और वाह-वाह का शोर यही नजारा आज गोमतीनगर के लोहिया पार्क के मुक्ताकाशी मंच पर दिखाई दिया। अवसर था नागरी पर्व के अंतर्गत अवधी विकास संस्थान और साहित्यगंधा की ओर से आयोजित हास्य समारोह लन्तरानी का।
अनूठे ढंग से बांटे गये लन्तरानी अवार्ड का उपस्थित दर्शकों ने ठहाकों के साथ आनन्द लिया। इस अवार्ड को प्राप्त करने वाला अतिथि स्वयं एक पर्चा उठाता। पर्ची पर लिखा हुआ उपहार उसे दिया जाता। किसी को गरम मसाला, किसी को मिर्च पाउडर, किसी को सब्जी मसाला तो किसी को धनिया पाउडर दिया गया। इनाम के साथ लन्तरानी के संस्थापक स्माईलमैन सर्वेश अस्थाना और संचालक मुकुल महान उस उपहार को लेकर वर्तमान स्थितियों पर कोई चुटीली टिप्पणी करते और पूरा प्रांगण ठहाकों से गूंज उठता। इन्हीं सब मस्ती और ठहाकों के बीच ठहाकों के बीच ग्वालियर के प्रसिद्ध हास्य कवि तेज नारायण बेचैन को लंतरानी सम्मान-2021 से नवाजा गया। इसके साथ ही हास्य से परिपूर्ण इस आयोजन में …….. को पत्नी भक्त सम्मान और …….. को पत्नी चाटुकार सम्मान दिया गया तो पूरा माहौल ठहाकों से गूंज उठा।
कार्यक्रम के अन्त में श्रोताओं को भी लकी ड्रा के माध्यम से नकद पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मुकुल महान के चुटीले संचालन में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें आमंत्रित हास्य कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से लन्तरानी को आगे बढ़ाते हुए श्रोताओं को देर तक ठहाके लगवाए।
ग्वालियर के हास्य कवि तेज नारायण बेचैन ने-इससे बड़ी लंतरानी क्या होगी,सूर्योदय लाने का वादा वे लोग कर रहे हैं, जिनके खुद के चुनाव चिन्ह लालटेन हैं.. सुनाकर व्यवस्था पर तंज किया।
बाराबंकी के धुरंधर हास्य कवि डॉ. अनिल बौझड़ ने- न समझौ बात ठिठोली कै,
परधान चुनौ हमजोली कै।
आपन सब बात सुनाय दियौ,
न मानै कान घुमाय दियौ…
जैसी कविताओं से श्रोताओं को लोटपोट किया तो वहीं बाराबंकी के ही कवि गजेन्द्र प्रियांशु ने- रंग से रंग मिले इतने खुद रंग में डूबी नहा गई होली,
प्रीति पुरातन जाग गई फिर प्रीति पुनीत जगा गई होली,
साजन है। जिनके घर में उनके दुख दर्द भगा गई होली,
दूर बसे जिनके उनके बस देह में आग लगा गई होली… सुनाकर फागुन का मोहक वर्णन किया ।
अयोध्या से आए कवि ताराचन्द तन्हा ने- अइसन बानी बोलिए, रोजै झगड़ा होय !
वोसे कब्भौ न भिड़ेव, जे तुहसे तगड़ा होय !!
जोगीरा सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा… सुनाकर श्रोताओं को हंसाया।
हास्य कवि अशोक झंझटी ने अपनी हास्य क्षणिकाएं सुनाकर ठहाके लगवाए।
पंकज प्रसून ने अपने अंदाज में-
जनता बस चुटकुलो के पीछे बावरी हो रही है
ट्रकों के पीछे ही अब असली शायरी हो रही है
मैने पूछा आखिर कब तक महंगाई यह कम होगी
वह बोले चुप बैठ यहां पे पावरी हो रही है.. सुनाकर माहौल को खुशनुमा बनाया।
दिनेश शर्मा को कूपन में कद्दू मिला | बृजेश पाठक को पत्नी भक्त सम्मान
बृजेश पाठक को कूपन में सरसों तेल मिला |
पत्नी चापलूस सम्मान सिर्फ मुकेश बहादुर सिंह को मिला |
इस अवसर पर नगर के तमाम सम्मानित पत्रकार, साहित्यकार एवं गणमान्य लोग मौजूद रहे।