लखनऊ। सपा के मुखिया अखिलेश यादव को पुलिस जवानों की शहादत पर ट्विट करना भारी पड़ा। एक पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने उनकी सरकार का चेहरा सामने लाते हुए सीधे तौर पर हमला बोला। पूर्व पुलिस महानिदेशक ने सीधे तौर पर कहा कि उनके कार्यकाल में पुलिस कर्मियों का हमेशा ही हौसला पस्त करने की कोशिश की गई। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कानपुर घटना पर अखिलेश यादव के ट्वीट पर पलटवार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अखिलेश यादव ने कानपुर में आठ पुलिसकर्मियो की शहादत का अपमान किया है। अपने पिता से सियासी मुठभेड़ करनेवाले अखिलेश यादव के लिए पुलिसकर्मियों की शहादत की कोई क़ीमत नहीं है। होगी भी कैसे- जब इन्होंने हमेशा आतंकवादियों और अपराधियों का साथ दिया।
बीबीसी का कार्टून जिसे अखिलेश ने अपने ट्वीटर हैंडल से शेयर किया था
बृजलाल ने कहा कि अखिलेश यादव क्या जाने कि मुठभेड़ क्या होती है। ज़िंदगी-मौत में चंद सेकंड का अंतर होता है, मुठभेड़ों में। मैंने खुद मुठभेड़ों में नेतृत्व किया है और 19 शातिर अपराधियों को जहन्नुम पहुँचाया है। मेरे सेवा काल में मेरे निर्देशन में 300 से अधिक दुर्दांत अपराधी और आतंकवादी मारे गये हैं। मैं जानता हूँ कि मुठभेड़ में जीवन को दाँव पर लगाना पड़ता है। शहादत देने वाले के परिवारों की व्यथा की जरा भी कद्र यदि अखिलेश जी को होती तो ऐसा ट्वीट करके पुलिसकर्मियों की शहादत का अपमान नहीं करते। उत्तर प्रदेश के 22 करोड़ लोग और तीन लाख पुलिसफ़ोर्स इस अपमान को कभी नहीं भूलेगा। बृजलाल ने कहा कि 23 नवंबर 2007 को हूजी के आतंकवादियों ने फ़ैज़ाबाद, लखनऊ, वाराणसी की कचहरियों में बम ब्लास्ट करके वकीलों सहित एक दर्जन से अधिक लोगों की हत्याएँ की थी। मैंने बाराबंकी से आतंकवादी ख़ालिद मुजाहिद और तारिक क़ासमी की गिरफ़्तारी RDX के साथ करायी थी। उन्होंने कहा कि 18 मई 2013 को दोनों आतंकी फ़ैज़ाबाद से पुलिस के वज्र वाहन से लौट रहे थे जिनमें ख़ालिद मुजाहिद की लू लगने से मौत ही गयी थी। अखिलेश यादव के निर्देश पर मेरे सहित कुल 42 पुलिसकर्मियों पर बाराबंकी कोतवाली में हत्या का मुक़दमा क़ायम करा कर यूपी पुलिस, एसटीएफ़, एटीएस को संदेश दे दिया कि आतंकियों की तरफ़ नज़र भी न उठाना। उनके मुक़दमे भी वापस लिए लेकिन अदालत ने वापसी की अनुमति न देकर आतंकी तारिक क़ासमी को तीन मामलों में आजन्म कारावास की सजा दे दी। बृजलाल का कहना है कि इसी तरह 8 जुलाई 2011 को मैनाठेर मुरादाबाद में धर्मविशेष के सैकड़ों लोगों ने डीआईजी ए॰के॰सिंह को गोली मारी और उन्हें मरा समझ कर छोड़ा। तीन-चार साल इलाज के बाद भी वे पूर्णरूप से स्वस्थ नहीं हो पाये। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सत्ता में आते ही तुष्टीकरण के तहत न्यायालय से मुक़दमा वापस लिया, परंतु यहां भी कोर्ट आड़े आ गयी और अब मुक़दमा चल रहा है। उन्होंने बताया कि डीआईजी के एस्कोर्ट कर्मी उन्हें छोड़कर भाग गये थे। उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। अखिलेश यादव ने उन पुलिसकर्मियों को सेवा में बहाल करके मनचाही पोस्टिंग नोयडा, ग़ाज़ियाबाद और अपने गृह जनपद इटावा में दे दी। बृजलाल ने कहा कि अखिलेश यादव सरकार तुष्टिकरण करती रही है । अखिलेश यादव ने कानपुर में आठ पुलिसकर्मियो की शहादत का अपमान किया है। इन्होंने हमेशा आतंकवादियों और अपराधियों का साथ दिया।