यह वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण है, इस ग्रहण के दौरान वृश्चिक राशि में 5 ग्रह मौजूद रहेंगे। इसे पंच ग्रही योग कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर वृश्चिक राशि में सूर्य,चंद्र,बुध, शुक्र और केतु विराजमान रहेंगे। ऐसी स्थितियां कई वर्षों बाद बन रही हैं। 6 राशियों पर इस सूर्य ग्रहण पर बेहद अशुभ गुरु चांडाल योग बन रहा है। मेष, कर्क, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि पर गुरु चांडाल योग का सबसे बुरा असर हो सकता है।
संध्याकाल में लगने की वजह से ये ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। भारत में नजर ना आने की वजह से ग्रहण काल के दौरान किसी भी तरह के कार्यों पर पाबंदी नहीं होगी।ग्रहणकाल के दौरान मांगलिक कार्यों पर भी रोक नहीं लगेगी।
इस वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर सोमवार को शाम 7:03 बजे शुरू होगा। यह सूर्य ग्रहण रात 12:23 तक रहेगा। जानकारों के मुताबिक यह सूर्य ग्रहण उस समय लगेगा जब भारत में सूर्यास्त होकर शाम हो चुकी होगी, इसलिए भारत में रहने वाले लोगों को यह ग्रहण नहीं देख पाएगा।अंतिम सूर्यग्रहण इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन सोमवती अमावस्या भी है और 16 दिसंबर बुधवार को खरमास शुरू होने वाला है।
इस सूर्य ग्रहण का बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव ना पड़े लेकिन साथ ही यह ध्यान रखना जरूरी है कि इस दौरान सावधानियां बरती जाएं। सूर्य ग्रहण के दौरान कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए। सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सतर्कता बरतनी चाहिए, ग्रहण के दौरान उन्हें सुई, तलवार, चाकू जैसी नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।ग्रहण के दौरान सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए संभव हो तो भगवान विष्णु की उपासना करें। संभव हो तो आदित्य हृदय स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं।पीले रंग के वस्त्र पहने। ग्रहण अवधि समाप्त होने के पश्चात मंदिर धोकर स्वयं स्नान कर पूजा करें।
सूतक काल मान्य नहीं,
यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। दक्षिणी अफ्रीका अधिकांश दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिका हिंद महासागर को पूर्ण रूप से दिखाई देगा।आमतौर पर सूर्य ग्रहण लगने के 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है लेकिन इस ग्रहण में भारत में सूतक मान्य नहीं होगा।
ग्रहण के दौरान बंद रहते हैं मंदिर के कपाट
सूर्य ग्रहण लगने के 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है जिसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं। सूतक काल में पूजा पाठ नहीं किया जाता है इस दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद रहते हैं।