…………आगे बढ़ो, अंतिम लक्ष्य तुम्हारी प्रतीक्षा में है

मानव और पुष्प अंकुर फूटता है, पौधा होता है, तब कहीं जाकर पुष्पों का उजाला होता है। पर इस जहाँ में पुष्प सूख जाते हैं तो, दूसरे पुष्पों का बसेरा होता है। तकदीर की ही बात है, मुकद्दर की ये बात है, पुष्प तो नए आ जाते हैं, उजाला भी गर हो जाता है, पर … Continue reading …………आगे बढ़ो, अंतिम लक्ष्य तुम्हारी प्रतीक्षा में है