महोत्सव पण्डाल में पुराने फिंल्मी गाने और गूंजे भजन के स्वर
लखनऊ। सृजन फाउंडेशन की ओर से कथा मैदान, आशियाना में चल रहे उत्तर प्रदेश महोत्सव 2020 के तीसरे दिन गुरुवार को ‘स्वरांजलि साहित्यिक’ एवं सांस्कृतिक ग्रुप द्वारा ओपन शो का आयोजन किया गया। जिसमें कलाकारों ने जहां एक ओर पुराने फिल्मी गीत सुनाकर वाहवाही लूटी तो वही दूसरी तरफ भजनो की प्रस्तुति से माहौल भक्तिमय बनाया। फिल्मी गीतों की शुरुआत इंजीनियर दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने ‘ऐ दिल मुझे बता दे.., से की। उसके बाद फैसल नसीम ने दिल का भँवर करे पुकार’ रज्जन लाल ने दुनिया बनाने वाले’ प्रवीन श्रीवास्तव ने ‘चांद आहे भरेगा’ बाल कृष्ण शर्मा ने ‘भंवरे की गुंजन’ चन्द्र शेखर ने ‘बीते हुए लम्हों की कसक’ सुनाकर खूब तालियां बटोरी। वही अगले क्रम में राहुल सिंह ‘भोले ओ भोले’ सुनाया।
इससे पूर्व ‘आदाब अर्ज़ है’ द्वारा कवि सम्मेलन कराया गया जिसमें भास्कर गौरव ने ‘मेरी वफाओं का ये सबब मिला, वफा न मिली बाकी सब मिला’ सुनाई तो पण्डाल तालियों से गूंज उठा। अभिषेक श्रीवास्तव ने मैं उसे चाहता हूँ ये सच है मगर, हो उसे भी मोहब्बत जरूरी नही
पायल श्रीवास्तव अटल ने ‘मैं रख लूँ अपनी अँगूठी के नगीने में तेरा अश्क कैद कर के, तू मुझसे दूर तो हो लेकिन जुदा ना हो…सुनाई। रश्मि श्रीवास्तव ने ‘दोस्ती के मायने अब कुछ बदल से गए हैं, आज मिले कल बिछड़े फिर खो से गए हैं’ उसके बाद केशव सिंह कट्टर ने ‘वो शाम अवध सी लगती है, मैं सूरज बन उसमें ढलता जाता हूँ’ सुनाया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संगिनीं क्लब की अध्यक्ष स्मिता श्रीवास्तव, विशिष्ट अतिथि कवि अमित हर्ष, कवियत्री शालिनी पांडेय सरल, समाज आकाश वेलफेयर फाउंडेशन की अध्यक्ष मधु तिवारी एवं कवि दुर्गेश शुक्ल दुर्ग उपस्थित रहे।
संस्था अध्यक्ष डॉ अमित सक्सेना ने बताया कि कल 11 दिसंबर को वात्सल्य फाउंडेशन द्वारा शाम 6 बजे कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।