उत्तर प्रदेश का कोई भी राशन कार्डधारक प्रदेश के बाहर किसी भी दुकान से मात्र अपनी राशन कार्ड संख्या बताकर खाद्यान्न ले सकेगा

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लखनऊ।  प्रदेश के खाद्य तथा रसद विभाग के आयुक्त मनीष चौहान ने बताया कि खाद्य तथा रसद विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदेश स्तर पर राशन पोर्टबिलिटी सुविधा का पूर्व में ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। माह अप्रैल 2020 में लगभग 7.07 लाख (2.13 प्रतिशत) राशन कार्ड धारकों द्वारा अपनी उचित दर की दुकान के अतिरिक्त किसी अन्य उचित दर की दुकान से राशन कार्ड पोर्टबिलिटी सुविधा का उठाया गया।
प्रदेश में इस सुविधा का सर्वाधिक प्रतिशत जनपद गौतमबुद्धनगर (11.50 प्रतिशत) इसके बाद जनपद लखनऊ (8.50 प्रतिशत) द्वितीय स्थान रहा। इसका लाभ उठाने वाले लोगों में मुख्यतः गरीब दिहाड़ी मजदूर एवं प्रवासी मजदूर वर्ग रहा है।
श्री चैहान ने कहा कि वर्तमान समय में कोविड-19 की विषम परिस्थितियों एवं लॉक डाउन की दशा में उत्तर प्रदेश एवं अन्य प्रदेशों में फंसे गरीब दिहाड़ी मजदूरों एवं अन्य प्रवासी मजदूरों की सुविधा हेतु वन नेशन, वन कार्ड (व्दम छंजपवदए व्दम ब्ंतक) योजना के अन्तर्गत राष्ट्रीय राशन पोर्टबिलिटी सुविधा दिनांक 1 मई 2020 से लागू करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राशन पोर्टबिलिटी योजना लागू होने के पश्चात् उत्तर प्रदेश का कोई भी राशन कार्डधारक प्रदेश के बाहर किसी भी दुकान से मात्र अपनी राशन कार्ड संख्या बताकर खाद्यान्न ले सकेगा। इसी प्रकार अन्य प्रदेशों के कार्ड धारक भी उत्तर प्रदेश में किसी भी सरकारी उचित दर की दुकान से मात्र अपनी राशन कार्ड संख्या बताकर खाद्यान्न ले सकेंगे। यह सुविधा आधार कार्ड पर आधारित वितरण हेतु तथा पिछले 6 माह से सक्रिय राशन कार्डों पर ही प्रभावी होगी।

उत्तर प्रदेश एवं अन्य प्रदेशों में फंसे गरीब दिहाड़ी मजदूरों व अन्य प्रवासी मजदूरों की सुविधा के लिए वन नेशन, वन कार्ड योजना के अन्तर्गत ‘राष्ट्रीय राशन पोर्टबिलिटी’ सुविधा लागू 

श्री चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय राशन पोर्टबिलिटी सुविधा वर्तमान में उत्तर प्रदेश सहित भारत के 16 राज्यों क्रमशः आन्ध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखण्ड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, बिहार, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश राज्य तथा 1 केन्द्र शासित प्रदेश दादरा नागर हवेली में लागू हो जायेगी। इन राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेश के लाभार्थी आपस में इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
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