उत्तर प्रदेश: साढ़े तीन वर्षों में धारणा में सकारात्मक बदलाव: योगी

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मुरादाबाद । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मौजूदा सरकार के निरन्तर और गम्भीर प्रयास से पिछले साढ़े तीन वर्षों में धारणा में सकारात्मक बदलाव आया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था, विकास, शासन-प्रशासन के सम्बन्ध में अब देश और दुनिया में कोई प्रश्न नहीं खड़ा कर सकता। वर्ष 2014 के बाद छह वर्षों में भारत के सम्बन्ध में भी विश्व में जो धारणा थी, उसमें व्यापक सकारात्मक बदलाव आया है। किसी भी व्यक्ति अथवा क्षेत्र के सम्बन्ध में धारणा उसके विकास को प्रभावित करता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के सम्बन्ध में यह सोच है कि यह क्षेत्र गरीब और पिछड़ा है जबकि प्रकृति और परमात्मा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक समृद्ध क्षेत्र बनाया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर क्षेत्र में नेतृत्व करने की क्षमता है। पूर्वांचल की क्षमता और सामर्थ्य को पहचानने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री शनिवार को मुरादाबाद से गोरखपुर में आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी ‘पूर्वांचल का सतत विकास: मुद्दे, रणनीति एवं भावी दिशा’ का समापन करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। ज्ञातव्य रहे कि उक्त राष्ट्रीय बेविनाॅर व संगोष्ठी “पूर्वान्चल का सतत् विकास” का शुभारम्भ मुख्यमंत्री ने 10 दिसम्बर को गोरखपुर में किया था।
उन्होने कहा कि वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्र, परिषदीय प्राथमिक विद्यालय जैसी संस्थाएं आश्रित हो गई थीं और अपने दायित्वों की उपेक्षा कर रही थीं। वर्तमान सरकार ने इन संस्थाओं, प्रशासनिक मशीनरी, जनप्रतिनिधियों को प्रेरित कर सक्रिय किया। आपरेशन कायाकल्प में प्राथमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाएं सुलभ करायी गयीं। गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक वातावरण बनाने के लिए कदम उठाए गए। इसके परिणामस्वरूप विगत तीन वर्षों में परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में 54 लाख की वृद्धि हुई है।
श्री योगी ने कहा कि आर्थिक विकास और सामाजिक उन्नयन के लिये युवाओं में शासकीय विकासात्मक एवं जनकल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार नितान्त आवश्यक है। चूंकि आत्म निर्भर भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब युवाओं में शासकीय योजनाओं की पूरी जानकारी हो तथा वह इनका लाभ उठा सके। उन्होंने आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग कर खेती की लागत हो कम करने तथा कृषि उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने की भी आवश्यकता पर बल दिया।

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