“उद्यमिता में आईपीआर का महत्व”

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लखनऊ, पी एच डी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के उत्तर प्रदेश चैप्टर ने 26 अप्रैल २०२१ को रेडिको खेतान लिमिटेड ए & ए ग्रुप ऑफ़ कम्पनी एवं जैपुरिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट लखनऊ के सहयोग से विश्व आईपी दिवस के अवसर पर “उद्यमिता में आईपीआर का महत्व” पर एक इंटरैक्टिव वेबिनार सत्र का आयोजन किया।
सत्र का उद्देश्य उद्यमिता में आईपीआर से जुड़े विभिन्न लाभों का प्रसार करना है और आईपी पंजीकृत करने के लिए कदम और प्रक्रिया पर प्रकाश डालना था ।
श्री मुकेश सिंह, निदेशक ए & ए ग्रुप ऑफ़ कम्पनी एवं सीनियर एडवाइजर पी एच डी चैंबर उत्तर प्रदेश ने कहा बौद्धिक छात्रों के पास हर समय नवीन विचार होते हैं। व्यापार में, नए विचारों से नए उत्पादों और सेवाओं को जन्म दिया जा सकता है। वे कुछ करने के बेहतर तरीके की ओर ले जा सकते हैं। विचार के बिना, व्यवसाय संभव नहीं होगा। आईपी नीति उन नीतियों में से एक है जो नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाती है।व्यवसायी विचारों को विकसित करने के लिए उद्यमी पैसा लगाते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि उद्यमी इस निवेश को आईपी से सुरक्षित रखें जिससे कोई भी उनका नवाचार कॉपी व दुरउपयोग ना कर सके।
डॉ रंजीत मेहता, डिप्टी सेक्रेटरी जेनरल, पी एच डी चैंबर ने अपने संबोधन में सभी वक्ताओ का स्वागत करते हुए बताया की नवाचार एवं बौद्धिक संपदा वैश्विक परिदृश्य की जरुरत है और इसको बढ़ावा देने के लिये पी एच डी चैंबर लखनऊ में बौद्धिक संपदा अधिकार सुविधा सेल भी हैं तथा हर महीने के दुसरे व चौथे बुधवार को ऑनलाइन एवं ऑफ लाइन आई पी कैंप का आयोजन करता है जिसमें कोई भी व्यक्ति निशुल्क में आई पी से सम्बंधित जानकारी ले सकता है।
डॉ दीपक सिंह, चेयर इन्क्यूबेशन सेंटर जैपुरिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट लखनऊ ने अपने संबोधन में कहा कि आज के समय में नवाचार बहुत आवश्यक है और उसमें बौद्धिक संपदा का अहम दायित्व है इस विषय पर जोर देते हुए कहा कि छात्र, प्रोफेसर एवं रिसर्च स्कॉलर को बौद्धिक संपदा के अधिकारों को समझना बहुत जरूरी है जिससे वह अपने स्टार्ट अप को बौद्धिक संपदा के अधिकारों से सुरक्षित एवं आरक्षित कर सके ।

श्री सागर चौधरी ,आईपी अटार्नी, चौधरी एंड एसोसिएट्स ने कांसेप्ट ऑफ आई पी आर और बौद्धिक संपदा के अधिकारों को कैसे पहचाने और कैसे बनाएं इसपे विस्तार से बताया। उन्होंने बौद्धिक संपदा के महत्व एवं प्रकार पर विस्तार से जानकारी की और यह भी बताया बौद्धिक संपदा का संरक्षण कैसे किया जा सकता है और कैसे व्यापार में लाभदायक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा बौद्धिक संपदा देश की प्रगति में भी अति आवश्यक है और बौद्धिक संपदा के अधिकारों के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि छात्रों प्रोफेसर एवं रिसर्च स्कॉलर को अपने विचारों के लिए बौद्धिक संपदा प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञों के साथ जुड़ने के लिए शीघ्रता से प्रयास करना चाहिए और उन्होंने पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट् एवं ज्योग्राफिकल इंडिकेशन के महत्व के बारे में प्रकाश डालते हुए उन्होंने विस्तार में बताया की कैसे उत्पाद और प्रक्रिया दोनों का पेटेंट कराया जा सकता है ।
श्री नीरज वर्मा सहायक निदेशक MSME- DI, कानपुर, भारत सरकार ने अपने संबोधन में विभिन्नन योजनाओ के बारे में बताया जैसे एवं भारत सरकार द्वारा बौद्धिक संपदा के तहत दी जा रही सब्सिडी एवं पैकेज जैसे ट्रेड मार्क रजिस्ट्रेशन के लिये 10000, डोमेस्टिक पेटेंट के लिये 1 लाख, फॉरेन पेटेंट के लिये 5 लाख एवं ज्योग्राफिकल इंडिकेशन के लिये 2 लाख के बारे में विस्तार में चर्चा करते हुए उद्यम रजिस्ट्रेशन, वील मैन्युफैक्चरिंग, पीएमएस, डिजिटल एमएसएमई, चैंपियन पोर्टल,P&MS, CLCS&TUS जैसी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
श्री अतुल श्रीवास्तव, रेजिडेंट डायरेक्टर ने इस सत्र का अच्छी तरह से संचालित किया।
श्री ऋषि राज टंडन , निदेशक, सप्तऋषि इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने सभी प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को इस सार्थक सत्र के लिए अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया।
वेबिनार में बहुत अच्छी तरह से बातचीत हुई और 100 से भी अधिक सदस्यों ने भाग लिया।

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