कर्ज यानी ऋण एक ऐसी समस्या है, जो बड़े से बड़ा प्रभावशाली व्यक्तित्व को विनाश की ओर चला जाता है। उसका व्यक्तित्व प्रभावित होने लगता है, इसलिए कर्ज से जितनी जल्दी मुक्ति मिल जाए। वह अच्छा होता है। कर्ज यानी ऋण से मुक्ति के हम आपको प्रभावशाली उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ किया जाए तो मनोकूल परिणाम सामने आते हैं, जब भी आप कर्ज के चक्रव्यूह में फस जाए तो निम्न उल्लेखित उपायों को जरूर अपनाएं, यह आपको कर्ज या ऋण के चक्रव्यूह से मुक्ति दिलाने में सहायक होंगे।
एक उपाय में हनुमान जी की अराधना की जा जाती है तो दूसरे में गणेश जी की उपासना का विधान है, जो कि मनोकूल ऋण मुक्ति का साधन बन सकता है।
( 1 )- किसी हनुमान मन्दिर में जाकर हनुमान जी के सम्मुख कुश के आसन पर विराजमान होकर सर्वप्रथम हनुमानजी को प्रणाम करें । फिर जनेऊ का एक जोड़ा व चोला चढ़ाकर चमेली के तेल का दीपक , गुग्गल की धूपबत्ती व चन्दन की अगरबत्ती अर्पित करें। तदनंतर पान के एक पत्ते पर थोड़ा सा शुद्ध मक्खन लगाकर पीले पुष्पों के साथ अर्पित करें। इसके बाद गुड – चने का भोग लगाएं और 11 रु अर्पित कर ऋणमुक्ति के लिए श्रीहनुमान जी से प्रार्थना करें । फिर 11 बार परिक्रमा कर 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ व एक बार ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें । इस कार्य से निवृत्त होकर पुजारी जी से प्रसाद रूप में थोड़े से चने और गुड प्राप्त करें। घर लौटकर गुड चनों को लाल वस्त्र में बाँधकर किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें । जब ऋण से मुक्ति मिल जाए तो उस प्रसाद को ग्रहण कर लें ।
( 2 )- बुधवार को प्रातःकाल श्वेतार्क की जड़ को पंचामृत से स्नान कराकर लाल रंग के नए कपड़े पर रखें । इसके साथ रक्तचंदन का टुकड़ा , 11 कौड़िया , 11 गोमती चक्र एवं तांबे का 1 सिक्का रखें । घी का दीपक जलाएं तथा श्वेत कागज पर रक्त चन्दन से अपनी प्रार्थना को लिखकर रख दें। फिर गणपति के मन्त्र ‘ ॐ गं गणपत्ये ऋणहर्ताये नमः मन्त्र का 108 बार जप करें । फिर उस कपड़े को एक पोटली बनाकर संस्थान अथवा गृह में उत्तर पूर्व दिशा में लटका दें। नित्य उसे धूप देते रहें । ऋणभार का शमन हो जाने पर पोटली जल में प्रवाहित कर दें ।
ॐ
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