कलयुग में धरती पर हनुमान जी विचरण करते हैं। वह धर्म पथ पर चलने वालों की पुकार से गिर सुनते हैं।जो भगवान श्री राम की पूजा करता है उनमें श्रद्धा रखता है उस पर तो भगवान श्री हनुमान जी की अति कृपा होती है।
ऐसे हनुमान जी को अगर शीघ्र प्रसन्न करना हो तो उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए। वह भी पूरे भक्तवा श्रद्धा भाव के साथ।ऐसा करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं और उसके संकटों को दूर करते हैं। अद्भुत रामायण की एक कथा के अनुसार, एक बार जगत माता जानकी सीता जी अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी।
उसी समय हनुमान जी वहां आ गए और सीता जी को सिंदूर लगाते देखकर बोले, हे माता यह लाल द्रव्य जो आप मस्तक पर लगा रही हैं यह क्या है। इसे लगाने से क्या होता है। श्री हनुमान जी का प्रश्न सुनकर माता सीता कुछ समय तक चुप रही फिर बोली कि यह सिंदूर है।
इसे लगाने से प्रभु दीर्घायु होते हैं और मुझ पर सदैव प्रसन्न रहते हैं।चुटकी भर सिंदूर लगाने से प्रभु श्री रामचंद्र जी की दीर्घायु और प्रसन्नता की बात माता जानकी के मुख से सुनकर श्री हनुमान जी ने विचार किया कि जब थोड़े से सिंदूर लगाने से प्रभु को लंबी उम्र प्राप्त होती है तो क्यों ना मैं अपने पूरे शरीर में सिंदूर पहुंचकर प्रभु को अजर अमर कर दू और हनुमान जी ने वैसा ही किया। हनुमान जी ने पूरे शरीर पर सिंदूर पोत लिया और राम दरबार में पहुंचे। वहां पहुंचकर कहने लगे, भगवान प्रसन्न हो।
उन्होंने हनुमानजी को अमरत्व प्रदान किया
हनुमान जी का शरीर सिंदूर से टूटा हुआ देखकर श्री रामचंद्र जी हंसने लगे और हंसते-हसते बोले, हे वत्स, कैसी दशा बना कर आए हो। तब हनुमान जी ने भगवान रामचंद्र जी को सारी बात बताई। सारी बात सुनकर हनुमान जी से इस भगवान श्री रामचंद्र जी बोले कि हनुमान तुम जैसा मेरा अन्य कोई भी वक्त नहीं है। इसके पश्चात उन्होंने हनुमानजी को अमरत्व प्रदान किया। तभी से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है। हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं।
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