मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। कासगंज जिले में पुलिस पर हमला करने वाला एक लाख का ईनामी, मुख्य आरोपी मोती सिंह धीमर पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। मोती सिढ़पुरा क्षेत्र के नगला धीमर का रहने वाला था। वह बड़े पैमाने पर कच्ची शराब का कारोबार करता था और उस पर 11 मुकदमे चल रहे थे। 9 फरवरी को सिढ़पुरा कोतवाली क्षेत्र के दारोगा अशोक और सिपाही देवेन्द्र आरोपी मोती के घर नोटिस चस्पा करने गए थे। जहां उसके गैंग के लोगों ने सिपाही को बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला व दारोगा को मरा जान कर खेत में फेंक दिया था।
घटना के 10 दिन बाद पुलिस को सूचना मिली की कासगंज कांड का मुख्य आरोपी मोती काली नदी के पास है। सूचना मिलने के तुरंत बाद पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए पहुंची। जहां पुलिस और आरोपी के बीच में मुठभेड़ हुई। इस दौरान मोती ने पुलिस देखते ही फायरिंग शुरू कर दिया। बचाव में पुलिस को भी गोली चलानी पड़ी, जिससे गोली लगने से मोती सिंह घायल होकर गिर पड़ा। पुलिस ने उसे निकट के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बीते 9 फरवरी को गांव के लोगों ने पुलिस को बताया था कि मोती अपने भाई और साथियों के साथ मिलकर पास के ही जंगल में कच्ची शराब बना रहा है। उसके बाद दरोगा अशोक और सिपाही देवेन्द्र उसके पास पहुंच जाते है। पुलिस और शराब माफिया मोती के बीच विवाद हो जाता है। धीरे-धीरे विवाद इतना बढ़ जाता है कि शराब माफिया मोती अपने भाई और साथियों के साथ दरोगा और सिपाही पर जानलेवा हमला बोल देता है। दरोगा अशोक को पे़ड से बांध दिया और शराब बनाने के प्रयोग में आने वाले भाले से दरोगा के सर और पेट पर वार कर दिया।
इस दौरान सिपाही देवेन्द्र अपनी जान बचाने के लिए भागने लगा, जिसे आरोपियों ने पकड़कर जमकर पीटा और उसकी मौत हो गयी थी। आरोपियों ने दरोगा को मृत समझकर छोड़ दिया था। कुछ ग्रामीणों ने पुलिस पर हमले की सूचना क्षेत्र के अधिकारियों को दिया। पुलिस पर हमले की सूचना मिलते ही अधिकारियों में हड़कंप मच जाता है और भारी संख्या में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच जाती है।
घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस को दारोगा घायल अवस्था में मिलता है जिसको फौरन जिला अस्पताल में भर्ती कराया जाता है।जहां डॉक्टर दारोगा की हालत गंभीर बताते हुए अलीगढ़ रेफर कर दिये थे। वहीं पुलिस को सिपाही देवेन्द्र घटनास्थल से एक किलोमीटर दूर पड़ा हुआ मिला था। जिसको जिला अस्पताल में भर्ती कराया तो डॉक्टर सिपाही को मृत घोषित कर दिये थे, आरोपी घटना को अंजाम देकर फरार हो गये थे।
मुखबिर से सूचना मिलने पर पुलिस शराब माफिया आरोपी मोती के भाई यलकार को पकड़ने गयी थी तो यलकार ने पुलिस पर तमंचे से फायर झोंक कर भागने लगा था। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलायी थी, जिसमें उसकी मौत हो गयी थी। पुलिस मुख्य आरोपी मोती को पकड़ने के पहले 50 हजार का ईनाम रखी थी, कुछ ही दिन बाद ईनाम की राशि बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया था।