मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।चालू पेराई सत्र के लिए किसानों ने गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य 400 रुपये प्रति कुंतल दिए जाने की मांग उठाई है,जबकि चीनी मिलों के प्रतिनिधियों ने यह बढ़ा मूल्य देने में असमर्थता जताई। गन्ना मूल्य तय करने के लिए शुक्रवार को प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में बैठक हुई।
बैठक में किसानों, मिल प्रतिनिधियों का पक्ष सुनने के बाद अब मुख्य सचिव अपनी संस्तुति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजेंगे और फिर इस पर कोई निर्णय हो सकेगा। बैठक में वर्चुअल माध्यम से सहारनपुर, मेरठ, देवीपाटन, बस्ती, मुरादाबाद,बरेली, लखीमपुर, अयोध्या आदि नौ गन्ना मण्डलों के किसान प्रतिनिधि जुड़े जबकि बैठक में चीनी मिलों के प्रतिनिधि के तौर पर निजी चीनी मिलों के संगठन यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के महासचिव दीपक गुप्तारा, अपर मुख्य सचिव संजय आर.भूसरेड़्डी, उ.प्र.गन्ना सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक विमल कुमार दुबे सहित कई अन्य अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए। सहकारी गन्ना विकास समिति विक्रमजोत बस्ती के पूर्व अध्यक्ष डा.अरविन्द कुमार सिंह ने लिखित वक्तव्य में कहा है कि इस बार गन्ने की उत्पादन लागत 352.42 प्रति कुंतल आ रही है। इस लिहाज से इस बार 400 रुपये कुंतल का भाव किसानों को मिलना ही चाहिए क्योंकि पिछले तीन वर्षों से किसानों का गन्ना मूल्य नहीं बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मिलों को इस समय चीनी के अलावा शीरा, बिजली, खोई, बगास, प्रेसमड,खाद, एथनाल, प्लाईवुड, स्प्रिट से डेढ़ से दोगुनी आय हो रही है। मांग की कि गन्न मूल्य भुगतान एकमुश्त किया जाए। देर से गन्ना मूल्य भुगतान पर ब्याज का भुगतान करवाया जाए।उधर, यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के महासचिव दीपक गुप्तारा ने कहा है कि इस बार गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग, खेतों में बारिश के पानी के जलभराव आदि कारणों से गन्ने की रिकवरी घट गई है। इसलिए मिलों की उत्पादन लागत बढ़ गई है। ऐसे में मिलों के सामने किसानों को इस समय पिछले तीन वर्षों से दिया जा रहा 315 रुपये प्रति कुंतल का भाव देना ही मुश्किल हो रहा है। अगर गन्ना मूल्य बढ़ाया गया तो मिलें बढ़ा हुआ मूल्य देने में असमर्थ होंगी।