संघ के इशारे पर भाजपा सरकार संवैधानिक व लोक तांत्रिक मूल्यों को खत्म करने में जुटी
लखनऊ ।समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष लौटन राम निषाद ने यहां जारी अपने बयान में कहा कि पिछड़ा-दलित वर्ग के सामाजिक न्याय व प्रतिनिधित्व के विरोध में बनी आर0एस0एस0 के इशारे पर केन्द्र की भाजपा सरकार संवैधानिक व लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने में पूरी तरह जुटी हुयी है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सूचीब( समाजवादी व धर्मनिपेक्ष शब्द को भाजपा निकालने का षड़यंत्र कर रही है। उन्होंने कोरोना को एक साजिश बताते हुए कहा कि संघ का मकसद ओबीसी , एससी, एसटी के आन्दोलन को निष्प्रभावी करना रहा है। उन्होंने कहा कि जितना लोग कोरोना से नहीं मरे उससे कहीं ज्यादा समुचित इलाज न मिलने के कारण दूसरे रोगों से प्रभावित लोगों को मौत के आगोश में जाना पड़ा। कोरोना का भय पैदा कर भाजपा बहुजन समाज को डरा कर घरों में बंद कर आरएसएस की योजनाओं को मूर्त रूप देने में जुटी हुयी है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राम हिन्दू समाज के आस्था के प्रतीक हो सकते हैं परन्तु वर्तमान दौर में मंदिर निर्माण की नहीं चिकित्सालय व शिक्षालय की जरूरत है। साजिश के तौर पर भाजपा ने जनता के अन्दर अफरा तफरी की स्थिति पैदा कर दिया है।
निषाद ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना के प्रति विश्व के देशों को सचेत रहने की चेतावनी दिया था परन्तु केन्द्र की मोदी सरकार उसे धता बताते हुए अहमदाबाद में ट्रम्फ सलाम व आगरा में ट्रम्प ेभ्रमण का कार्यक्रम कराने के साथ-साथ मध्य प्रदेश की सरकार को गिराने व भाजपा की सरकार बनाने में जुटी रही। अगर भाजपा सरकार समय से उचित कदम उठाया होता तो करोड़ों लोगों को बेरोजगारी, बदहाली, बेकारी व भुखमरी का शिकार नहीं होना पड़ा होता। मोदी साजिश के तौर पर 25 मार्च को एकाएक सुबह सात बजे से पूर्ण लाकडाउन की घोषणा कर पागल पन का निर्णय लिये। यदि लाकडाउन ही करना था तो जनता को 10-15 दिन पूर्व सुरक्षित स्थानों व अपने घरों को जाने का निर्देश जारी कर दिये होते। परन्तु आरएसएस का षड़यंत्र पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों व अल्पसंख्यक समाज को रोजी रोटी से वंचित करना व उनके बने बनाये आर्थिक संसाधनों को ध्वस्थ कर 70 के दशक से पूर्व की स्थिति में पहुॅचाना था।
निषाद ने कहा कि एनआरसी, एनपीआर व सीएए विरोधी जो पिछड़ों दलितों को आन्दोलन चल रहा था, मोदी सरकार ने संघ के इशारे पर कोरोना महामारी का हौवा खड़ा कर खत्म कराने का षड़यंत्र किया। सेन्सस 2021 में जो पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना का मुद्दा उठ रहा था उसे भी दबाने की साजिश किया। लाकडाउन के पीरियड में न्यायपालिका को अपनी गिरफ्त में लेकर आरक्षण व पिछड़ा दलित विरोधी निर्णय कराया ताकि पिछड़ा -दलित वर्ग आरक्षण व सामाजिक न्याय विरोधी न कर सके। उन्होने कांग्रेस व भाजपा को एक ही सिक्के का दो पहलू व चोर-चोर मौसेरा भाई बताते हुए कहा कि दोनों दल वर्ण व्यवस्था व तुच्छ जातिवादी की पोषक पार्टियां है। दोनों दल शुरू से ही पिछड़े वर्ग की आरक्षण की विरोधी रही है। कई मुद्दो पर भाजपा व कांग्रेस आरपसी सांठ गांठ कर कार्य करती है। चाहे अन्य पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना का मामला हो या ईबीएम के विरोध का, कांग्रेस का भाजपा को मौन समर्थन रहता है। उन्होंने पिछड़ी जाति का बनने वाले नरेन्द्र मोदी से सेन्सस-2021 में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराकर एससी व एसटी की भांति समानुपातिक आरक्षण की व्यवस्था करने, ओबीसी आरक्षण को नवी अनुसूची में दर्ज करने तथा ओबीसी आरक्षण को एससी व एसटी की तरह क्रीमीलेयर की बाध्यता से मुक्त करने व आरक्षित वर्ग को सरकारी सेवाओं व निजी क्षेत्रों में समानुपातिक आरक्षण की मांग के साथ-साथ कोलेजियम सिस्टम से उच्च न्याय पालिका के न्यायाधीशों का मनोनय यूपीएससी की प्रतियोगी परीक्षा के पैटर्न पर राष्ट्रीय न्यायिक/विधिक सेवा चयन आयोग के माध्यम से किये जाने की मांग किया है।
‘‘कोरोना ओबीसी, एससी आन्दोलन को निष्प्रभावी करने साजिश-लौटन राम’’
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