गंगोत्री (उत्तरकाशी)। 25 अप्रैल को मां गंगा जी की डोली उनके मायके व शीतकालीन प्रवास मुखबा से भैरोंघाटी के लिए रवाना हुई थी। भैरव मंदिर में रात्रि विश्राम के बाद मां गंगा की डोली आज प्रातः 7 बजे गंगोत्री के लिए रवाना हुई। जहां गंगा पूजन,गंगा सहस्त्रनाम पाठ एवं विशेष पूजा अर्चना के बाद विधि विधान के साथ गंगा जी की भोग मूर्ति को मंदिर के भीतर विराजमान किया गया। लॉकडाउन के चलते समस्त नियमों का अनुपालन करते हुए विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट गंगा पूजन, गंगा सहस्त्रनाम पाठ एवं विशेष पूजा अर्चना के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रोहिणी अमृत योग की शुभ बेला पर रविवार दोपहर 12:35 बजे कपाट खोल दिए गए। कपाटोद्घाटन के दौरान सोशल डिस्टेंस का पूर्ण रूप से अनुपालन किया गया तथा सभी के द्वारा मास्क अनिवार्य रूप से पहने गये।
इधर, यमुनोत्री धाम के कपाट भी सादगीपूर्ण ढंग से खोले दिये गए हैंं। मां यमुना की डोली आज प्रातः 8.15 बजे खरसाली से यमुनोत्री धाम के लिए विदा हुई। यमुनोत्री धाम पहुंंचने के बाद विशेष पूजा-अर्चना व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ तय मुहूर्त 12 बजकर 41 मिनट पर मंदिर के कपाट सादगीपूर्ण ढंग से दर्शनार्थ के लिए खोले दिये गए है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से तृतीया महापर्व की शुभ बेला पर श्रीपांच मंदिर समिति गंगोत्री को 1100 रुपये दान स्वरूप दिए गए तथा पहली पूजा प्रधानमंत्री के नाम से हुई।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि कोरोना वायरस व देशव्यापी लॉक डाउन के चलते केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुरूप समस्त नियमों को लागू करते हुए दोनों धाम श्री यमुनोत्री एवं गंगोत्री धाम के कपाट आज (रविवार को) सादगीपूर्ण ढंग से खोले गए हैं। कोरोना व लॉक डाउन के चलते दोनों धामों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीपी जोशी के नेतृत्व में मेडिकल टीम द्वारा कपाटोद्घाटन में शामिल सभी तीर्थ पुरोहितों का मेडिकल परीक्षण किया गया। साथ ही मौके पर सैनिटाइजर, मास्क आदि की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई। नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीमें यमुनोत्री एवं गंगोत्री में मौजूद रहीं।
इस अवसर पर गंगोत्री में उप जिलाधिकारी देवेंद्र सिंह नेगी, सीएमओ डॉ डीपी जोशी, सीओ कमल पंवार मन्दिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, यमुनोत्री धाम में उप जिलाधिकारी सोहन सैनी, यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, सचिव कृतेश्वर उनियाल सहित मंदिर समिति के पदाधिकारी तीर्थ पुरोहित मौजूद थे।
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