मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश को विकास की पटरी से उतारने और सांप्रदायिक दंगों की आग में झोंकने के लिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फिर एक और बड़ी साजिश रची गई थी। इस बार गाजियाबाद में धर्मांतरण की अफवाह फैला कर दो समुदायों के बीच संघर्ष की साजिश को अंजाम देने का प्रयास किया जा रहा था।
इस साजिश के जरिये षडयंत्रकारियों का लक्ष्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करने और प्रदेश के सौहार्दपूर्ण माहौल में जहर घोलने का था। समय रहते गाजियाबाद पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा कर साजिशकर्ताओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया ।गाजियाबाद पुलिस ने मोन्टू वाल्मीकि की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दर्ज एफआईआर के मुताबिक 21 अक्टूबर को साहिबाबाद थाने के गांव करेहडा में कुछ अज्ञात लोगों ने 230 लोगों के धर्मांतरण की झूठी अफवाह फैलाई गई । इससे संबंधित प्रमाण पत्र पूरी तरह से फर्जी और साजिशन तैयार किए गए हैं। इन दस्तावेजों में कोई नाम, पता, तिथि और जारी करने वाले का नाम भी नहीं है। दस्तावेजों पर कोई पंजीकरण संख्या भी दर्ज नहीं है। एसपी सिटी ज्ञानेंद्र सिंह के मुताबिक कागजात पूरी तरह से फर्जी हैं। लोगों के बीच लाभकारी योजनाओं के फार्म बता कर कागजों को बांटा गया। इस पूरे मामले के पीछे प्रदेश में जातीय और धार्मिक दंगे कराने की साजिश रची गई है। जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि साजिशकर्ताओं ने ऐसे भोले भाले लोगों को निशाना बनाया जो पढ़े लिखे नहीं थे। षडयंत्रकारी एनसीआर में इस कोशिश के जरिये पूरे प्रदेश में दो समुदायों के बीच संघर्ष कराने की साजिश को अंजाम तक पहुंचाने में जुटे थे। पुलिस का कहना है कि बहुत जल्द साजिशकर्ताओं को बेनकाब कर दबोच लिया जाएगा। गौरतलब है कि इस से पहले हाथरस और मथुरा में जातीय संघर्ष की साजिश रच कर योगी सरकार को बदनाम करने का कुचक्र रचा गया था। इनकी जांच भी एसटीएफ और पुलिस की टीमें कर रही हैं। गाजियाबाद के विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और भगोड़ा माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम की साजिश बताया है।