जब दुनिया सो रही होती हैं तब हमे रातों के नींद से लड़ना पड़ता हैं

0
605

मंज़िल:  जिंदगी में कुछ बनने की लिए, बहुत कुछ करना पड़ता हैं।

जिंदगी में कुछ बनने की लिए, बहुत कुछ करना पड़ता हैं।
जब दुनिया सो रही होती हैं तब हमे रातों के नींद से लड़ना पड़ता हैं।।
नींदों को समझाकर जागते आखों से सपने बुनना होता हैं।
ऐसे ही किसी को नही मिल जाती हैं मंजिले,
राह _ राह पे मुसीबतों से लड़ना पड़ता हैं,
चाहे हालात कैसे भी हो डट कर सामना करना होता है,
लोगों के तरह _तरह के ताने भी सुनना पड़ता है,
आंखे भी भर आती हैं आंसू भी छुपाना पड़ता हैं,
जब कोई साथ नहीं होता है हमे साहस देने के लिए,
तो हमे खुद के लिए खड़ा भी होना पड़ता हैं,
हमें ज़िंदगी में सफ़ल होने के लिए,
हमें अपने लक्ष्य के प्रति जुनूनी बनना होता है।
हर एक काम को पूरा करने के लिए,
जी जान से मेहनत करना होता हैं,
रोकने वाले हज़ार मिलते हैं, फिर भी आगे बढ़ना होता हैं,
लोगो के रूढ़िवादी सोच को दूर कर,
छोटी _छोटी सफलता और असफलता से सीख लेकर,
स्वयं को मजबूत और लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय करना होता हैं,
काफी संघर्षों के बाद जिंदगी में ये सफ़लता के दिन आता हैं,
खून पसीने से सीच कर अपने सपने को सच कर पाता हैं,
तब जाके एक मनुष्य सफल व्यक्ति कहलाता हैं।।
मनीषा कुमारी
बी०एड०,
एएम०एसी० गणित 2nd सेमेस्टर
मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई
 
यह रचना स्वरचित है, 
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here