मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जाली नोटों का कारोबार रोकने के लिए एटीएस ने अपना जाल बिछा दिया है। जाली नोटों की तस्करी में गिरफ्तार तीनों अभियुक्तों से पूछताछ में मिली अहम सूचनाओं के आधार पर एटीएस की टीमें सक्रिय हो गई हैं। जल्द ही अन्य अभियुक्तों की भी गिरफ्तारी होगी।
एटीएस को जाली नोटों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार तीनों अभियुक्तों की पांच दिनों की कस्टडी रिमांड मिली हुई है। गुरुवार को जब एटीएस टीम तीनों से पूछताछ में जुटी थी तो अन्य टीमें तीनों के सहयोगियों की तलाश में लगी हुई थीं। तीनों अभियुक्तों को एसटीएफ ने सोमवार की शाम लखनऊ के हजरतगंज से गिरफ्तार किया था। इसके बाद मामले की जांच एटीएस को सौंप दी गई थी। एटीएस की पूछताछ में तस्करों ने स्वीकार किया कि वह लोग 40 हजार रुपए देकर एक लाख रुपए की जाली नोट लेते हैं। इस तरह 60 हजार रुपए का फायदा हो जाता है। अपने पास से बरामद 2.90 लाख रुपए मूल्य की नकली मुद्रा के बारे में तस्करों ने बताया कि वे पश्चिम बंगाल से जाली नोट लाकर यूपी के अलावा अन्य प्रदेशों में उसकी आपू्र्ति करते थे। तस्करों के गैंग का सरगना रजिकुल शेख पश्चिम बंगाल के माल्दा का रहने वाला है जबकि उससे जाली नोटों की खेप लेने आए लोगों में शामिल नसीर अली और जफीर आलम यूपी के मुरादाबाद जिले के रहने वाले हैं। तीनों के पास फर्जी दस्तावेज भी मिले थे। तीनों से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि इनके चार अन्य साथी भी इसी धंधे में लगे हैं। रजिकुल ने बताया कि उसका गांव बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है। सीमा पार से जाली नोटों के पैकेट फेंक दिए जाते हैं। बदले में भारत की तरफ से असली नोटों के पैकेट उनकी तरफ फेंके जाते हैं। वह जाली नोटों का पैकेट लखनऊ में नसीर व जफीर को देने आया था। ये दोनों उसे अन्य जिलों तक पहुंचाते। एटीएस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इसमें किसी आतंकी संगठन का हाथ तो नहीं है?अभी तक ये दोनों यूूपी में कहां-कहां सप्लाई दिये हैं।