……जो गुजर गया, जो गुजर रहा, इसी का नाम है जीवन,

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निरंतर निर्झर बहते झरने के समान,
कल-कल की ध्वनि कभी तीव्र कभी मंद,
सुख-दुःख, आशा- निराशा, सफलता- असफलता,
के बीच गतिमान ये जीवन,
जीवन की गति रुक गई, तो मानो सांसें थम सी गई,
उलझनों को सुलझा तो आसान है जीवन,
उलझनों में उलझ गए तो बेजार है जीवन,
छोटे-बड़े अनुभवों का पिटारा है जीवन,
रिश्तो से ही संवरता है जीवन,
रिश्ते नहीं तो बेजान है जीवन ,
थोड़ा खट्टा, थोड़ा मीठा बड़ा प्यारा है जीवन,
कभी शीतल जलाशय, कभी मरुस्थल सा तपता है जीवन,
उम्र के हर पड़ाव से गुजरता है जीवन,
बचपन से लेकर बुढ़ापे का बहीखाता है जीवन,
जीवन हकीकत है कोई ख्वाब नहीं,
हर एक को अपने हिस्से का जीना पड़ता है जीवन ,
जो गुजर गया, जो गुजर रहा,
इसी का नाम है जीवन,
ईश्वर का दिया अनमोल वरदान है जीवन।

डॉ• ऋतु नागर

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…………..यहां कर्म अपना है और कुछ भी नहीं ! ………सफलता का सूत्र भी यही है

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