मुख्यमंत्री ने 10वें सिख गुरु गोविन्द सिंह जी
के प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा यहियागंज में माथा टेका
सनातन धर्म व राष्ट्र रक्षा हेतु सिख गुरुओं के बलिदानों के प्रति हमें कृतज्ञ रहना चाहिए
शांतिकाल में शास्त्रों के अध्ययन, भजन, कीर्तन इत्यादि के माध्यम
से मानवता की सेवा का मार्ग सिख गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशस्त हुआ
जब भी धर्म और राष्ट्र पर संकट आया,
सिख गुरुओं ने बलिदान देने में संकोच नहीं किया
लखनऊ: 20 जनवरी, 2021
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने 10वें सिख गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर आज यहां गुरुद्वारा यहियागंज में माथा टेका। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म व राष्ट्र रक्षा हेतु सिख गुरुओं के बलिदानों के प्रति हमें कृतज्ञ रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने चारों पुत्रों का बलिदान दिया। उनके इस बलिदान को सदैव याद रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शांतिकाल में शास्त्रों के अध्ययन, भजन, कीर्तन इत्यादि के माध्यम से मानवता की सेवा का मार्ग सिख गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशस्त हुआ। जब भी धर्म और राष्ट्र पर संकट आया, सिख गुरुओं ने बलिदान देने में संकोच नहीं किया। देश और धर्म की रक्षा के लिए सिख धर्मगुरुओं के बलिदान का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए। यह अत्यन्त प्रेरणादायी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 27 दिसम्बर, 2020 को मुख्यमंत्री आवास पर श्री गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों एवं माता गुज़री जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ के अवसर पर आयोजित गुरुबाणी कीर्तन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। इस कार्यक्रम को सोशल मीडिया के माध्यम से देश के लोगों ने देखा और प्रशंसा की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सिख धर्मगुरुओं के बलिदान को सम्मान देने के लिए पूर्व में ऐसे कार्यक्रम नहीं किए जाते थे। सिख धर्मगुरुओं के बलिदान को सम्मान देने की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा, ताकि युवा पीढ़ी को उनके बलिदान से पूरी तरह परिचित हो सके। उन्होंने कहा कि सिख धर्मगुरुओं के बलिदान से वे स्वयं भी प्रेरणा प्राप्त करते हैं। इसीलिए वर्ष 2017 में इस गुरुद्वारे में दर्शन करने आए थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरुबाणी कीर्तन हम सबको देश और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यांे के निर्वहन की प्रेरणा देता है। इतिहास को विस्मृत करके कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। सिख इतिहास पढ़ने पर पता चलता है कि विदेशी आक्रान्ताओं ने जब भारत के धर्म और संस्कृति को नष्ट करने, भारत के वैभव को पूरी तरह समाप्त करने का एक मात्र लक्ष्य बना लिया था, तब गुरु नानक जी ने भक्ति के माध्यम से अभियान प्रारम्भ किया और कीर्तन उसका आधार बना।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सत्संग के माध्यम से जो कार्य गुरु नानक देव जी ने आगे बढ़ाया। आने वाली पीढ़ियों ने उससे प्रेरणा ली। भक्ति, शक्ति, पुरुषार्थ तथा परिश्रम में प्रत्येक सिख अग्रणी रहता है। सिख समाज अपने पुरुषार्थ और परिश्रम के लिए जाना जाता है। सिख समाज की प्रगति और सफलता में गुरु कृपा का भी योगदान है। सिख समाज की गुरु-शिष्य परम्परा सिखों सहित सभी भारतीयों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्रत्येक भारतीय, सिख परम्परा के लिए सम्मान का भाव रखता है तथा इस परम्परा पर गौरव की अनुभूति करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आगामी मई में गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व होगा। इसकी तैयारी अभी से की जाए। सरकार इसमें हर सम्भव मदद करेगी। सरकार गुरु तेग बहादुर सिंह जी के सम्मान में एक तिराहे का निर्माण करवाएगी। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर सिंह जी के बलिदान के कारण ही आज कश्मीर भारत का हिस्सा है।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, विधि एवं न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, गुरुद्वारा कमेटी के प्रबन्धक श्री गुरमीत सिंह, ज्ञानी परम सिंह, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शांतिकाल में शास्त्रों के अध्ययन, भजन, कीर्तन इत्यादि के माध्यम से मानवता की सेवा का मार्ग सिख गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशस्त हुआ। जब भी धर्म और राष्ट्र पर संकट आया, सिख गुरुओं ने बलिदान देने में संकोच नहीं किया। देश और धर्म की रक्षा के लिए सिख धर्मगुरुओं के बलिदान का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए। यह अत्यन्त प्रेरणादायी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 27 दिसम्बर, 2020 को मुख्यमंत्री आवास पर श्री गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों एवं माता गुज़री जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ के अवसर पर आयोजित गुरुबाणी कीर्तन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। इस कार्यक्रम को सोशल मीडिया के माध्यम से देश के लोगों ने देखा और प्रशंसा की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सिख धर्मगुरुओं के बलिदान को सम्मान देने के लिए पूर्व में ऐसे कार्यक्रम नहीं किए जाते थे। सिख धर्मगुरुओं के बलिदान को सम्मान देने की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा, ताकि युवा पीढ़ी को उनके बलिदान से पूरी तरह परिचित हो सके। उन्होंने कहा कि सिख धर्मगुरुओं के बलिदान से वे स्वयं भी प्रेरणा प्राप्त करते हैं। इसीलिए वर्ष 2017 में इस गुरुद्वारे में दर्शन करने आए थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरुबाणी कीर्तन हम सबको देश और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यांे के निर्वहन की प्रेरणा देता है। इतिहास को विस्मृत करके कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। सिख इतिहास पढ़ने पर पता चलता है कि विदेशी आक्रान्ताओं ने जब भारत के धर्म और संस्कृति को नष्ट करने, भारत के वैभव को पूरी तरह समाप्त करने का एक मात्र लक्ष्य बना लिया था, तब गुरु नानक जी ने भक्ति के माध्यम से अभियान प्रारम्भ किया और कीर्तन उसका आधार बना।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सत्संग के माध्यम से जो कार्य गुरु नानक देव जी ने आगे बढ़ाया। आने वाली पीढ़ियों ने उससे प्रेरणा ली। भक्ति, शक्ति, पुरुषार्थ तथा परिश्रम में प्रत्येक सिख अग्रणी रहता है। सिख समाज अपने पुरुषार्थ और परिश्रम के लिए जाना जाता है। सिख समाज की प्रगति और सफलता में गुरु कृपा का भी योगदान है। सिख समाज की गुरु-शिष्य परम्परा सिखों सहित सभी भारतीयों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्रत्येक भारतीय, सिख परम्परा के लिए सम्मान का भाव रखता है तथा इस परम्परा पर गौरव की अनुभूति करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आगामी मई में गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व होगा। इसकी तैयारी अभी से की जाए। सरकार इसमें हर सम्भव मदद करेगी। सरकार गुरु तेग बहादुर सिंह जी के सम्मान में एक तिराहे का निर्माण करवाएगी। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर सिंह जी के बलिदान के कारण ही आज कश्मीर भारत का हिस्सा है।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, विधि एवं न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, गुरुद्वारा कमेटी के प्रबन्धक श्री गुरमीत सिंह, ज्ञानी परम सिंह, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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