बहरूपिये की आड़ में हिन्दू संत-महात्माओं और भगवा वस्त्रों की पवित्र और पावन छवि को बदनाम करने में जुटा अखिलेश यादव

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—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

गाँधीवाद कहता है कि “आंख के बदले आंख का सिद्धांत पूरी दुनिया को अंधा बना देगा”। लेकिन लगता है कि उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी के नेताओं को मोहनदास करमचंद गांधी की यह बात फूटी आंख नहीं सुहाई। इसलिए उन्होंने कहा कि “जब तक आप जानवर के साथ जानवर नहीं बनोगे तब तक यह घटनाएं होती रहेंगी।”

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कानपुर में एक मुस्लिम रिक्शाचालक के साथ एक हिंदुवादी संगठन के नेताओं द्वारा कथित मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद उस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, सुरेश ठाकुर “योद्धा” नामक समाजवादी पार्टी के एक छुटभैया नेताजी ने मीडिया के हवाले से यह बयान दिया है। उनका यह बयान “बुलन्द भारत” नामक एक यूट्यूब चैनल के माध्यम से सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है।
सुरेश ठाकुर योद्धा नामक समाजवादी पार्टी के यह नेताजी 2011 में सुश्री मायावती के शासनकाल में बनवाये गए पार्क और स्मारक में पम्प ऑपरेटर के सरकारी पद पर नियुक्त हुए थे लेकिन दिसम्बर 2017 में उन्हें इस पद से बर्खास्त कर दिया गया। अपनी नौकरी वापस पाने के लिए सुरेश ठाकुर ने बहुत हाथपैर मारे लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। तब उन्होंने बर्खास्त कर्मचारियों की नेतागिरी शुरू कर दी और उनके नेता बन गए। इसके साथ ही सुरेश ठाकुर ने अपना मुंडन भी करा लिया और अपने सरनेम के साथ “योद्धा” शब्द भी लगा दिया।
सुरेश ठाकुर नामक इस बर्खास्त सरकारी कर्मचारी का चेहरा-मोहरा और कद-काठी काफ़ी हद तक वर्तमान मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से मिलती है।
इसी बीच इस नकली “बाबा जी” की मुलाक़ात पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख श्रीमान अखिलेश यादव से हो गई। और तभी से यह अखिलेश जी के चहेते भी बन गए। अखिलेश जी ने अपने एक ट्वीट में कहा भी था कि “हम नकली भगवान तो नहीं ला सके लेकिन एक बाबा जी लाये हैं। ये हमारे साथ गोरखपुर छोड़ प्रदेश में सबको सरकार की सच्चाई बता रहे हैं”. अखिलेश जी के इस ट्वीट से यह स्पष्ट हो गया कि कल तक नकली समाजवाद और छद्म सेक्युलरिज्म की बात करने वाले अब नकली भगवा का सहारा लेने लगे हैं। या यूं कहिये कि शायद समाजवादी पार्टी इस नकली और ढोंगी भगवाधारी बहरूपिये की आड़ में हिन्दू संत-महात्माओं और भगवा वस्त्रों की पवित्र और पावन छवि को बदनाम करने में जुट गई है।
कहते हैं कि भेड़िया भले ही भेड़ की खाल पहन ले लेकिन गुर्राना नहीं छोड़ता। क्योंकि कपड़े बदलने से व्यक्ति का चरित्र नहीं बदलता। और अंततः इस नकली भगवाधारी “योगी” ने अपना असली रंग दिखा ही दिया।

श्रीमान अखिलेश यादव जी ने शायद यह कहावत नहीं सुनी-

सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से।
के खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज़ के फूलों से।।

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