मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के गुनहगार विकास दुबे के एक और साथी उमाकांत शुक्ला उर्फ गुडडन ने शनिवार को चौबेपुर थाने पहुंच कर सरेंडर कर दिया।
वह अपने साथ पत्नी और बेटी को लेकर पहुंचा। इस दौरान उमाकांत शुक्ला ने गले में तख्ती लटकाई थी। जिसमें खुद के विकास दुबे का साथी होने और कानपुर कांड के बाद आत्मग्लानि की बात कही थी। उमाकांत शुक्ला ने पुलिस से रहम की गुहार लगाते हुए कहा कि मैं सरेंडर करने आया हूं। उसके गले मे लटके तख्ती पर लिखा था “मेरा नाम उमाकांत शुक्ला उर्फ गुड्डन है। कानपुर कांड में मैं विकास दुबे के साथ शामिल था। मुझे पकड़ने के लिए रोज पुलिस छापेमारी कर रही है, जिससे मैं बहुत डरा हुआ हूं। हम लोगों द्वारा जो घटना की गई थी, उसकी हमें बहुत आत्मग्लानि है। मैं खुद पुलिस के सामने हाजिर हो रहा हूं। मेरी जान की रक्षा की जाए, मुझ पर रहम किया जाए”। इसी बीच शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र और एक एएससपी के बीच बात-चीत का वायरल ऑडियो ने नया तूफान खड़ा कर दिया है। शहर से लेकर लखनऊ तक अधिकारी इस ऑडियो की सच्चाई की पड़ताल में जुट गए हैं। एसआईटी भी इसे जांच में शामिल कर सकती है। वह रिपोर्ट भी मंगाई जा सकती है, जिसकी जांच अंडरट्रेनी आईपीएस तत्कालीन सीओ कल्याणपुर ने की थी। शहीद सीओ और एसपी ग्रामीण के वायरल ऑडियो में सीओ ने साफ कहा था कि पूर्व एसओ विनय तिवारी कुख्यात विकास दुबे के पैर छूता है और वह थाने के दो चार लोगों को मरवा देगा। इस ऑडियो में यह भी बताया गया है कि कैसे पूर्व एसओ ने पूर्व कप्तान को पांच लाख रुपए देकर जांच से अपनी जान बचा ली थी। ऑडियो के वायरल होने के साथ ही महकमे के अधिकारियों पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। इस ऑडियो के सामने आने के साथ ही लखनऊ स्तर पर सनसनी मच गई है। वहां बैठे वरिष्ठ अधिकारियों ने ऑडियो की जानकारी के लिए जिले में मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों से सम्पर्क किया है। फिलहाल यहां मौजूद अधिकारियों ने जवाब में यही कहा है कि उन्हें इस प्रकरण के बारे में जानकारी नहीं है। वहीं, एसपी ग्रामीण ने भी यही बताया है कि उनसे बात तो हुई थी, मगर उन्हें याद नहीं है कि किस सिलसिले में क्या बात हुई है। इस ऑडियो को लेकर एसआईटी का रोल अहम होगा। एसआईटी इस ऑडियो को अपनी जांच में शामिल करने का मन बना रही है। ऐसा होने पर पूर्व कप्तान अनंत देव तिवारी से पूछताछ होगी। वहीं जो एडीजी जोन ने जांच कराई थी। उसके संबंध में यहां ट्रेनी आईपीएस रहे निखिल पाठक से भी सवाल-जवाब हो सकते हैं। उन्होंने अपनी जांच में सीओ समेत सभी पुलिस अफसरों को क्लीन चिट दी थी।