………………….बेटा जी, अब कोई कहता नहीं {स्मृति के झरोखे से}

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अहसास जो भूलता नहीं 

जन्म दिवस अब न जाने क्यों?
न जाने क्यों, दुखमय- सा लगता है?
वो खुशी से चहक कर आशीष लेना याद है मुझे।
वो स्नेह व प्यार भी याद है मुझे।
पर! अब जीवन अनाथ सा लगता है।
याद आती है इस कठिन डगर में,
बेटा जी, अब कोई कहता नहीं।
बेगाना मन याद करता है तो,
तस्वीर में छिपी मुस्काहट से,
यादों का तराना आता है।
भ्रम के बादल मंडराते हैं,
मन पुलकित-सा हो जाता है।
फिर नयन अश्रु बह जाते हैं।
फिर वही! पापा आप बहुत याद आते हैं,
सचमुच बहुत याद आते हैं।।

जन्म दिवस अब न जाने क्यों?
न जाने क्यों, दुखमय- सा लगता है?
डॉ. मीना शर्मा

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…………आगे बढ़ो, अंतिम लक्ष्य तुम्हारी प्रतीक्षा में है

Geeta

Durga Shaptshati

Ramayan

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