भुवनेश्वरी देवी: उस समय केवल ब्रह्म अपनी अव्यक्त प्रकृति के साथ शेष रहता है
अनंत नामों व स्वरूपों वाली आदिशक्ति भगवती दुर्गा को नमन करने से जीव का सदा ही कल्याण ही होता है। ॐ बालरविद्युतिमिन्दुकिरीटां तुङ्गकुचां नयनत्रययुक्ताम । स्मेरमुखीं वरदाङ्कुशपाशाभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम् ॥ मैं भुवनेश्वरी देवी का ध्यान करता हूँ। उनके श्रीअंगोंकी शोभा प्रात : कालके सूर्यदेवके समान अरुणाभ है। उनके मस्तकपर चन्द्रमा का मुकुट है। तीन नेत्रोंसे … Continue reading भुवनेश्वरी देवी: उस समय केवल ब्रह्म अपनी अव्यक्त प्रकृति के साथ शेष रहता है
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