मानव तस्करी में लिप्त म्यांमार के स्माइल को यूपी एटीएस ने हैदराबाद से पकड़ा

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रैकेट में शामिल सरकारी कर्मचारी, पार्षद, प्रधान और कट्टरपंथी पर कसेगा शिकंजा

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने मानव तस्करी करने वाले गिरोह के सदस्य मो. इस्माइल को गुरुवार को हैदराबाद (तेलंगाना) से गिरफ्तार कर लिया गया। हैदराबाद से ट्रांजिट रिमांड पर लेकर उसे लखनऊ लाया गया है। अब तक इस गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह गिरोह जाली दस्तावेजों के आधार पर म्यांमार और बांग्लादेश से महिलाओं और बच्चों को अवैध रूप से भारत लाकर बेचता है। कोर्ट से पुलिस कस्टडी रिमांड प्राप्त कर एटीएस अब मो. इस्माइल की भी पूछताछ करेगी। उसके कब्जे से मोबाइल और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायायुक्त कार्यालय (यूएनएचसीआर) से जारी कार्ड समेत अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं। इस्माइल मूल रूप से म्यांमार के मांगड़ू जिल के गुडेन गांव का रहने वाला है।

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वर्तमान में वह हैदराबाद के बहादुर पुरा थाना क्षेत्र स्थित प्रिंस कॉलोनी में रह रहा था। गिरोह के सरगना मुहम्मद नूर उर्फ नुरुल इस्लाम से पूछताछ में इस्माइल का नाम सामने आया था। हैदराबाद गई एटीएस की टीम ने जब इस्माइल को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो मानव तस्करी गिरोह के साथ उसकी संलिप्तता पाई गई।

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इससे पहले एटीएस ने म्यांमार और बांग्लादेश से संबंधित अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह के सरगना मुहम्मद नूर और उसके दो साथियों को गत 27 जुलाई को गिरफ्तार किया था। इन तीनों से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर दो बांग्लादेशी नागरिकों आले मियां और अब्दुल शकूर को गत दो अगस्त को बरेली से गिरफ्तार किया गया था। गिरोह के छठें सदस्य मो. इस्माइल को अब हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया है।

अब म्यांमार और बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों के सरकारी दस्तावेज बनवाने में मदद करने वाले एटीएस के निशाने पर आ गये हैं। एटीएस की रिपोर्ट पर कई जिलों में ऐसे लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। इन मददगारों में सरकारी कर्मचारियों से लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधि तक शामिल हैं। बांग्लादेश के नागरिकों के अलावा बड़ी संख्या में म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थी भी यूपी के कई जिलों में आकर रह रहे हैं। इनमें से कुछ मानव तस्करी के धंधे में भी शामिल हो गए हैं। वे दोनों देशों से ऐसे नागरिकों को अवैध रूप में भारत में लाकर जाली प्रपत्रों के सहारे उनके भारतीय दस्तावेज बनवाते हैं। फिर इन भारतीय दस्तावेजों के आधार पर प्राइवेट फैक्ट्रियों में उनकी नौकरी लगवाते हैं। ऐसे अवैध घुसपैठिए मेरठ, बरेली, कानपुर, आगरा, नोएडा व कानपुर जैसे शहरों में काम पा जाते हैं। ज्यादातर तो मीट फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं।

हाल के दिनों में पकड़े गए सभी रोहिंग्या व बांग्लादेशी नागरिकों के पास भारतीय के रूप में पहचान बताने वाले दस्तावेज मिले हैं। कुछ ने तो पासपोर्ट तक बनवा लिए हैं। आधार कार्ड तो लगभग सभी के पास मौजूद थे।

म्यांमार व बांग्लादेश से मानव तस्करी करने वाले गिरोह के सरगना मुहम्मद नूर उर्फ नूरुल इस्लाम की गिरफ्तारी के बाद एटीएस को कई अहम सूचनाएं मिली हैं। एटीएस अब इन मददगारों का नेटवर्क तोड़ने में लगी है। राशन कार्ड में नाम जोड़वाकर, फर्जी राशन कार्ड बनवाकर या स्कूलों के जाली प्रमाणपत्र बनवा कर यह गिरोह भारतीय नागरिक के रूप में पहचान पत्र बनवा देता है। इसमें उसके स्थानीय मददगार भी शामिल होते हैं। इनमें पार्षद, ग्राम प्रधान, मदरसों के स्टाफ के अलावा पंचायत व तहसील के सरकारी कर्मचारी भी शामिल होते हैं। अब संदिग्ध पहचान पत्रों का सत्यापन कराते हुए उसे बनवाने में सहयोग करने वालों की तलाश की जा रही है। एटीएस उन कट्टरपंथियों तक पहुंचना चाहती है जो इनको भारत विरोधी गतिविधियों में लगाते हैं।

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