‘मामाजी’ को समझने के लिए भारत को समझना होगा : प्रो. द्विवेदी

0
286

नई दिल्ली, 2 नवंबर । ”मामाजी ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। प्रत्येक परिस्थिति में सच के साथ खड़े रहे। एक पत्रकार के रूप में यदि मामाजी को समझना है, तो हमें भारत और भारतीयता को समझना होगा।” यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने रविवार को राष्ट्रोत्थान न्यास, ग्वालियर द्वारा वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वदेश समूह के प्रधान संपादक रहे माणिकचंद्र वाजपेयी ‘मामाजी’ के जीवन पर आधारित पांचजन्य द्वारा प्रकाशित विशेषांक के विमोचन कार्यक्रम में व्यक्त किए।

आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि माणिकचंद्र जी के लेखन पर कभी विवाद नहीं हुआ, क्योंकि उनके लेखन में आलोचना और कटुता नहीं थी। सभी ने उनका आदर किया। पर आज हर क्षेत्र में पराभव हुआ है। ऐसे में अगर नई पीढ़ी को बचाना है, तो मामाजी जैसे आदर्श को जीवन में उतारना होगा।

Advertisment

उन्होंने कहा कि भौतिक रूप से भले ही वाजयेयी जी हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई स्वर्णिम विरासत वाली राह पर आज सैकड़ों लोग चलने करने को आतुर हैं। उनका जीवन हम सबके लिए एक ऐसा पथ है, जो हमें अनंत ऊंचाइयों की ओर ले जाने में समर्थ है।

इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर ने कहा कि मामाजी के जीवन के अंतर्गत एक बहुत बड़ा विरोधाभास दिखाई देता है। जहां से वे चले थे, जहां पर वे पहुंचे, जो-जो पड़ाव तय किए, कैसे जीवन में परिवर्तन होता चला गया और एक व्यक्ति कैसे स्वयं को एक संस्था के रूप में बदलता चला गया। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी काम करते हुए अपने आपको सिद्ध किया, इसलिए उनका बार-बार स्मरण करना आवश्यक है।

कार्यक्रम में राष्ट्रोत्थान न्यास के सचिव अतुल तारे ने कहा कि आज हम समाज में जो सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव करते हैं, उसके पीछे माणिकचंद्र जी जैसे तपस्वियों का ही योगदान है। हमारे जीवन की जितनी शंकाएं, चुनौतियां हैं, उनका उत्तर पाना है, तो मामाजी जैसे तपस्वियों को याद करना होगा।

आयोजन की अध्यक्षता करते हुए न्यास के अध्यक्ष दीपक सचेती ने कहा कि वाजपेयी जी सहज, सरल और सभी गुणों से पूर्ण व्यक्तित्व थे। उन्हें जो भी दायित्व दिया गया, उसे उन्होंने पूर्ण किया। उन्होंने पत्रकारिता को एक मिशन के रूप में लिया। मामाजी जैसे व्यक्तित्व का जब सानिध्य मिलता है, तब व्यक्ति का निर्माण होता है।

इससे पहले मुख्य अतिथि प्रो. संजय द्विवेदी को शॉल व श्रीफल भेंटकर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन राजेश वाधवानी ने एवं आभार प्रदर्शन राजलखन सिंह ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here