मुरली की धुन में सजी ठुमरी “का करूं सजनी, आए न बालम”

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लोक कला महोत्सव की नौवी शाम में फ्री प्रवेश का लोगों ने उठाया लाभ

लखनऊ। लोककला महोत्सव न्यास की ओर से आयोजित लोक कला महोत्सव की नौवी शाम, शनिवार 20 फरवरी, को शास्त्रीय बांसुरी वादन और शास्त्रीय गायन ने यादगार बनाया।

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अलीगंज के पोस्टल ग्राउंड में रविवार 21 फरवरी तक आयोजित इस लोक कला महोत्सव में देश भर से आए हस्तशिल्प, लजीज खानपान और झूलों का आनंद लोग नि:शुल्क प्रवेश सुविधा के साथ उठा रहे हैं।

संयोजक मंडल में शामिल विनय दुबे ने बताया कि बताया कि राज्य ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्र और संस्कार भारती के विभाग संयोजक हरीश कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में इसका आयोजन किया जा रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में राहुल त्रिपाठी ने बांसुरी पर एक से बढ़कर एक मधुर शास्त्रीय संगीत सुनाकर प्रशंसा हासिल की। उसके बाद दीपिका सिंह “सूर्यवंशी” ने राग भैरवी में मशहूर ठुमरी “का करूं सजनी, आए न बालम” सुनाकर शाम को परवान चढ़ाया। दिलचस्प बात यह रही कि इस ठुमरी को राहुल त्रिपाठी ने जुगलबंदी करते हुए बांसुरी पर हूबहू स्वरित किया। प्रगति सिंह और अंजली ने लोकप्रिय भजन “तू श्याम मेरा सांचा नाम तेरा” सुनाकर शाम को आध्यात्मिक शिखर पर पहुंचाया। संचालिका आयुषी रस्तोगी ने स्वरचित कविताओं का मधुर पाठ कर तालियां बटोरीं। ओपिन माइक सत्र में श्याम, आकाश, रंजीत ने मो.रफी और किशोर कुमार के लोकप्रिय नगमे सुनाए।

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