…………….मेरे अवचेतन मन में तुम,

हे जगत के सृष्टिकर्ता, संहारक,पालनहारे,            तुम सब में, सब तुम में समाहित, जल, थल ,नभ, जड़-चेतन में तुम, मेरे अवचेतन मन में तुम, इस नश्वर जगत में तुम अविनाशी, मेरे मन वाटिका में आई ये कैसी आंधी है? इस झंझावत से थाम मुझे, मेरी राह दिखा देना, हार हो या जीत … Continue reading …………….मेरे अवचेतन मन में तुम,