…………..यहां कर्म अपना है और कुछ भी नहीं ! ………सफलता का सूत्र भी यही है
कविता ******* यहां कर्म अपना है और कुछ भी नहीं ! सफलता का सूत्र भी यही है एक बार बहस छिड़ी प्रात: और सांझ में, विषय था- कौन है श्रेष्ठतम? कौन सर्वश्रेष्ठ है? प्रात: ने अपनी भूमिका बतलाई, मेरे आते ही आकाशगामी सूर्य अवतरित हो जाता है, पक्षी की मधुमय बोली से धरा गुंजित हो … Continue reading …………..यहां कर्म अपना है और कुछ भी नहीं ! ………सफलता का सूत्र भी यही है
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