यादों के साए से हमें निकलना होगा

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यादो के साए से हमें निकलना होगा
ने वाले जीवन के अनुरूप ढलना होगा
छूट गया जो पीछे वो स्मृतियां हैं
अपने ही खौफ से हमें लड़ना होगा
वो जो सामने बाहें फैलाए वर्तमान है
हमें उसमें सिमटना होगा 
भविष्य की चिंताओं से हमें उबरना होगा
जीने का ढंग हमें बदलना होगा
खुद भी खुश रहना, औरों को खुश रखना होगा
यादों के साए से हमें निकलना होगा।

डॉ. ऋतु नागर

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रिश्ते बदलने लगे हैं

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