यूपी में ओवैसी, ओवैसी-आजम मुलाकात की चर्चा, सपा में हलचल,… तो रालोद से भी छोटी होगी सपा

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लखनऊ। बिहार के बाद ओवैसी अब पश्चिम बंगाल का रुख करने वाले हैं। इससे पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी पहले से बौखलाई हुई हैं, लेकिन अब बौखलाने की बारी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की होगी, क्योंकि इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि अब ओवैसी यूपी में एंट्री के लिए उत्तर प्रदेश के सपा नेता वह पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान मिलने वाले है, जो कि इन दिनों जेल में बंद है।
सूत्र बताते हैं कि ओवैसी की ओर से आजम खान को मिलने के संदर्भ में मैसेज भेजा गया है। इस खबर के फैलने के साथ ही समाजवादी कैंप में हड़कंप मच गया है। सूत्र बताते हैं कि इस हड़कंप की वजह यह है कि समाजवादी पार्टी मुस्लिम वोट बैंक पर नजरें गड़ाए बैठी है, लेकिन अगर ओवैसी उत्तर प्रदेश से चुनाव में उतरते हैं तो इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उनकी ही पार्टी यानी समाजवादी पार्टी को ही भुगतना पड़ेगा। ऐसे में अगर आजम खान भी अगर ओवैसी का दामन थाम लेंगे तो इसका बहुत ही गलत मैसेज जाएगा, जोकि रसातल की ओर जा रही समाजवादी पार्टी को एक करारा धक्का साबित हो सकता है, जिससे उबरना समाजवादी पार्टी के लिए बेहद कठिन साबित होने वाला है। इसका सबसे ज्यादा असर पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव के पूरे राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा, निश्चित तौर पर यह साफ तौर पर आकलन किया जा सकता है कि कि अगर आजम खान जैसा चेहरा, जोकि समाजवादी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, अगर वह चेहरा ओवैसी का दामन थाम लेगा तो समाजवादी पार्टी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव और भी दुष्कर परिणाम लाने वाला साबित होगा।
समाजवादी पार्टी के नेता भी अब तो दबी जुबान में स्वीकार करने लगे हैं कि अगर आगामी चुनाव में समाजवादी पार्टी अपनी सियासी जमीन बचाने में नाकाम रही तो भविष्य में समाजवादी पार्टी को अपने अस्तित्व बचाने के लिए भी जूझना पड़ सकता है। सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि अगर समाजवादी पार्टी चुनाव हार जाती है तो पार्टी में विभाजन होना भी करीब-करीब तय माना जा रहा है, ऐसे तमाम चेहरे जो अपने भविष्य को समाजवादी पार्टी के साथ उबारने की कोशिश में है, वे समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर अन्य दल का दामन थाम लेंगे। सपा के एक नेता ने दबी जुबान में और नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए सकारात्मक परिणाम लाने वाला नहीं रहा तो राष्ट्रीय लोक दल भी समाजवादी पार्टी से बड़ा होगा।
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