मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। अपराध की कोख बनी जर, जोरू और जमीन में से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा विवाद जमीन को लेकर है।इस लिये यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गांवों में हर घर और जमीन को उनकी पहचान देने जा रही हैं। मतलब, मकान और जमीन का अपना नंबर होगा और उस पर उसके मालिक का नाम होगा। स्वामित्व योजना में मकान व जमीन मालिकों को इसका प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि राजस्व परिषद बोर्ड ने इसके नियमावली प्रारूप को मंजूरी दे दी है। इसे जल्द कैबिनेट में रखा जाएगा। राजस्व परिषद स्वामित्व योजना में गांवों में बने मकानों का आवासीय अभिलेख तैयार करा रहा है। इसके तैयार होने के बाद मकान व जमीन पर स्वामित्व को लेकर आए दिन होने वाले विवाद काफी हद तक खत्म हो जाएंगे। इस योजना में गांवों में रहने वालों को मकान और जमीन का प्रमाणित दस्तावेज दिया जाएगा। इसका उपयोग बैंकों से कर्ज आदि लेने में आसानी होगी। आबादी क्षेत्र का प्रारंभिक डाटा तैयार होने के बाद विकास के लिए सरकारी योजनाएं चलाने में भी सहायता मिलेगी। राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी के अनुसार इस योजना में प्रदेश के 37 जिलों के 379 गांवों में ड्रोन से हवाई सर्वेक्षण का काम पूरा किया जा चुका है। फिलहाल एसडीएम सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर आपत्तियों की सुनवाई कर इसकी आपत्तियां निस्तारित कर रहे हैं। इसके बाद ग्रामीण आवासीय अभिलेख यानी घरौनी को अंतिम रूप दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना में प्रदेश के 82913 गांवों का सर्वे किया जाना है। इस योजना में सर्वेक्षण टीम गांव वालों की मदद से संपत्तियों को अलग-अलग हिस्सों में बांटने के लिए चूने से निशान लगाती है। इसके बाद भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी निर्धारित तिथि पर ड्रोन से हवाई सर्वे करते हुए इसका मैप तैयार करते हैं।