अब बेटों की गिरफ्तारी पर कोर्ट ने लगाई रोक
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। पंजाब की जेल में बंद माफिया विधायक मुख्तार अंसारी अब यूपी सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराना शुरू कर दिया है। कहने को तो योगी सरकार ने मुख्तार अंसारी और उससे जुड़े गुर्गों में जेल में बंद करके तथा उनकी अचल संपत्तियों को ध्वस्त कर कमर तोड़ दिया है। यूं तो मुख्तार के भाई व मऊ के सांसद अफजाल अंसारी ने लखनऊ में डालीबाग स्थित प्रॉपर्टी को एलडीए द्वारा गिराने के फरमान के विरुद्ध कोर्ट से स्टे लाकर अपनी ताकत का भान करा दिया था। उसके बाद पंजाब जेल से मुख्तार अंसारी को यूपी लाने गयी पुलिस टीम को पंजाब मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों ने यह बता कर झटका दिया कि मुख्तार अभी बीमार है। यूपी पुलिस को बैरंग लौटना पड़ा। बुधवार को इलाहाबाद हाई केार्ट की लखनउ खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी के दो बेटों के खिलाफ डालीबाग की एक शत्रु सम्पत्ति पर निर्माण करने के मामले दर्ज प्राथमिकी पर दौरान विवेचना उनकी गिरफतारी पर अंतरिम रेाक लगा दी है।कोर्ट ने हालांकि देानों को विवेचना में सहयेाग करने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस डी के उपाध्याय व जस्टिस संगीता यादव की पीठ ने अब्बास अंसारी व उमर अंसारी की याचिका पर पारित किया है। कोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते में अपना प्रतिशपथपत्र दाखिल करने का भी आदेश दिया है। याचियेां की ओर वरिष्ठ अधिवक्ताओं जेएन माथुर, एचजीएस परिहार व अरूण सिन्हा ने पक्ष रखा। माथुर ने तर्क दिया कि प्राथमिकी को पढ़ने से ही याचियेां के खिलाफ प्रथम दृष्टया केाई अपराध नहीं बनता। उन्होंने कहा कि जब अपराध कारित करने की बात कही जा रही है तब तेा याचियेां का जन्म भी नहीं हुआ था। कहा गया कि दुर्भावना के कारण प्राथमिकी लिखायी गयी है। वहीं महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिका पोषणीय नहीं है क्योकि याचीगण कोर्ट के सामने क्लीन हैण्ड से नहीं आये हैं। उन्हेाने यह भी तर्क दिया कि याची अग्रिम जमानत का आवेदन कर सकते हैं अतः उन्हें रिट दायर कर प्राथमिकी केा चुनौती देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने महाधिवक्ता के सारे तर्को को नकार दिया। केार्ट ने यहां तक कहा कि महाधिवक्ता के तर्क मिथ्या हैं।