मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। राजधानी लखनऊ के काकोरी विकास खंड क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत मौरा खेड़ा के गौशाले में गौवंश मौत आम बात हो गयी है। फिर भी गौशालाओं के नोडल अफसर का दावा है कि हमारी गौशालायें लखनऊ की सबसे अच्छी गौशालाओ में हैं।
इससे संबंधित वीडियो को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस गौशाले में कितनी निर्दयता से गायों की मौत हो रही है। इस गौशाला की देख-रेख की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है। फोन करने पर पता चला कि प्रधान जी बाहर हैं, गौशाला की देख-रेख कर रहे ग्राम प्रधान ममता पाल के पति बब्लू पाल का दावा है कि उनकी व्यवस्था सबसे अच्छी है। उन्होंने बताया कि उनके पास 150-55 गौवंश हैं, जिन्हें वह रोज भूसा के अलावा 4-5 कुंतल हरा चारा खिलाते हैं। यही नहीं भूसा रखने की जगह की कमी होने के कारण भूसा व्यापारियों से एग्रीमेंट कर लिये हैं।
उनके पास चार माह तक का भूसा है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि किसी जानवर का पेट न भरे। बब्लू पाल के अनुसार मरने वाले चार गौवंश में दो 15 दिन पहले से ही बीमार थे। जिनका इलाज चल रहा था, बाकी दो बछड़े थे। यह चारो परसों मरे हैं। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में लिखा है कि कोई विषैला जीव इन्हें काट लिया। वह जिन -जिन ओर गया वहां-वहां के जानवर मर गये। शायद जानवरों का पैर पड़ा हो और वह काट लिया हो। गौशाला के नोडल अधिकारी बीडीओ काकोरी संजीव गुप्ता ने कहा कि आप आकर बात करिये तब मैं अच्छा सा एक्सप्लेन कर पाऊंगा। हमारे क्षेत्र में और भी गौशाला है, केवल एक जगह का मामला था। अभी चार दिन पहले बटेऊ जमालपुर गौशाला पर कमिश्नर साहब का दौरा था।
उन्होंने बताया कि 15-20 दिन पहले जब बरसात हुई थी तब चार गौवंश की मौत हो गयी थी। वह सभी बूढ़ी थीं। उनका प्रॉपर पोस्टमार्टम करा के अंतिम संस्कार भी करवा गया था। गुप्ता ने कहा कि क्षेत्रीय सांसद को भी इस घटना का संज्ञान है। इस संदर्भ में क्षेत्रीय सांसद कौशल किशोर ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में है। ग्राम प्रधान ने ठीक से गौवंशों की देख-भाल नहीं किया। गायों को चारा नहीं मिला मर गयी। उन्होंने कहा कि मैंने ही बीडीओ को इसकी जानकारी दिया था। इस गौशाला की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की है। बता दें कि प्रति गौवंश यूपी सरकार 30 रुपया रोज देती है। ग्राम सेक्रेटरी के प्रमाणित करने के बाद पैसा ग्राम प्रधान को मिलता है। बीडीओ काकोरी इस प्रकरण की जांच कर रहे हैं। जबकि इस गौशाला से संबंधित वीडियो में आरोप है कि इस गौशाला में आये दिन गौवंश मरते हैं। गायों को केवल सूखा भूसा जमीन पर डाल के खिलाया जाता है। मरने वाले गौवंश को बगल के सूखे पड़े सरकारी नाले में फेंक दिया जाता है।
वहां से जेसीबी द्वारा गौमांस की तस्करी से जुड़े लोग उठा ले जाते हैं। वह मांस और हड्डियों को बेंच कर मोटा पैसा कमाते हैं।वीडियो जारी करने वाले गौवंशों की जिंदगी बचाने के लिये बार-बार मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं। जिलाधिकारी के यहां से कहा गया कि इस संदर्भ में सीडीओ, डीपीआरवो और एसडीएम से बात करिये। डीपीआरओ तेज सिंह यादव ने बताया कि मैं देखता नहीं, बीडीओ गौशालाओं के नोडल अधिकारी होते हैं उनसे बात करिये पूरा डिटेल बता देंगे।बता दें कि गौवंश संवर्धन के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हजार आलोचना भी हुई तो भी वह विचलित नहीं हुये। उन्होंने गौवंश संरक्षण के लिये देशी-विदेशी मदिरा पर अलग से अधिभार बढ़ाया। राज्य सरकार की मंडी समितियों के मुनाफे में से कुछ अंश गौवंश के संरक्षण के लिये निर्धारित कर दिया।फिर भी दुर्भाग्य देखिये कि राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री के नाक के नीचे गौवंश की दुर्दशा से हुई मौत पर जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगा। यहां तो प्रशासन, प्रधान सब अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। प्रदेश की राजधानी जहाँ प्रदेश के आला अफसर ही बैठते हैं वहाँ गायों की ये दशा है तो शेष प्रदेश का क्या हाल होगा?