योगी करेंगे श्रमिक आयोग का गठन, 30 लाख को रोज़गार

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एक सवाल में योगी आदित्यनाथ सरकार पर केवल राम मंदिर के निर्माण के लिए ही चिंतित होने और कोरोना संकट के प्रति लापरवाह होने के आरोप लगाये जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राम को ध्यान में रखकर ही रोटी की चिंता करते हैं। राम को याद करके ही गरीब श्रमिकों की रोटी के प्रबंध की चिंता कर रहे हैं लेकिन जिन लोगों ने राम को भुला दिया, वे ना घर के रहे, ना घाट के। सब देख रहे हैं कि अभी तक वे संभल नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके समक्ष तमाम चुनौतियां आयीं हैं और आएंगीं। उनका सामना पूरी मजबूती से करेंगे और बिना किसी भेदभाव के सबकी देखभाल करेंगे।

मनोज श्रीवास्तव, नयी दिल्ली/ लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को घोषणा की कि वैश्विक महामारी के कारण अन्य राज्यों से लौटने वाले 25 लाख से अधिक श्रमिकों काे सामाजिक सुरक्षा के साथ रोज़गार उपलब्ध कराने के वास्ते राज्य सरकार एक श्रमिक आयोग का गठन करेगी।

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योगी आदित्यनाथ ने यहां पांचजन्य एवं ऑर्गनाइज़र द्वारा आयोजित एक वेबिनार में शिरकत करते हुए यह घोषणा की। कोविड-19 सजगता से सफलता विषय पर आधारित इस परिचर्चा में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के संकट बाद उत्तर प्रदेश में अब तक 22 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक विभिन्न राज्यों से लौट चुके हैं। अगले सात दिनों में करीब करीब वे लोग भी लौट आएँगे जो लौटने का मन बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी श्रमिक उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और उनके हित की चिंता करना उत्तर प्रदेश की सरकार की जिम्मेदारी है।
वेबिनार का संचालन पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने किया। ऑर्गनाइज़र के संपादक प्रफुल्ल केतकर तथा देश भर के 20 से अधिक बड़े पत्रकार इसमें शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रवासी श्रमिकाें के गृह जनपद पहुंचने पर उन्हें क्वारंटीन केन्द्रों पर भेज रही है और वहां उनके उपचार का प्रबंध करने के साथ ही स्किल मैपिंग यानी उनके कौशल आदि की जानकारी दर्ज कर रही है। इन श्रमिकों को अलग अलग क्षेत्रों में काम करने का हुनर है। वस्त्र उद्योग, राजमिस्त्री, नलसाज़ आदि अनेक प्रकार के काम आते हैं। राज्य सरकार ने फैसला किया है कि इन श्रमिकों के लिए एक श्रमिक आयोग का गठन किया जाएगा। यह आयोग श्रमिकों को बीमा आदि हर प्रकार की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराएगा। उन्होंने बताया कि इन श्रमिकों को प्रताड़ित करके घर लौटने पर मजबूर किया गया। बिजली एवं पानी का कनेक्शन काट दिया गया। भोजन आदि की व्यवस्था नहीं की गयी। उन्होंने कहा कि ये श्रमिक विभिन्न राज्यों से जिस दुर्गति के कारण लौटे हैं, भविष्य में उन्हें ऐसी स्थिति का कभी सामना नहीं करना पड़ेगा। यदि ये श्रमिक कहीं रोज़गार के लिए उत्तर प्रदेश से बाहर जाते हैं तो उत्तर प्रदेश की सरकार उनकी सामाजिक सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करके ही भेजेगी। वे जिन राज्यों में जाएंगे, उन राज्यों की सरकार को उन श्रमिकाें की सामाजिक सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी होगी।
योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमने बाहर के राज्यों से आने वाले श्रमिकों को अंदर आने से रोका नहीं और यह नहीं कहा कि अभी ना आयें। हमने सहृदयता से उन्हें गले लगाया और उन्हें क्वारंटीन केन्द्र से निकलने पर 15 दिन के राशन की किट दी और भरणपोषण का भत्ता दिया। कुल 32 लाख लोगों को भरणपोषण का भत्ता एवं 86 लाख लोगों को पेंशन मुहैया करायी है। हम इन श्रमिकों की ऊर्जा का उत्तर प्रदेश की समृद्धि के लिए उपयोग करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो आर्थिक पैकेज घोषित किया है, उसके तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के लिए अपार संभावनाएं हैं। पैकेज घोषित होने के एक दिन बाद ही हमने 57 हजार करोड़ रुपए के ऋण वितरित किये हैं। उन्होंने कहा कि हम 25 से 30 लाख श्रमिकों को एमएसएमई उद्योगों में ही समायोजन कर देंगे।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से विएतनाम एवं बंगलादेश वस्त्र निर्माण में आगे निकल गये हैं, उसी प्रकार से उत्तर प्रदेश को भी विकसित किया जाएगा। फूलों की खेती से इत्र उद्योग, अगरबत्ती एवं धूप उद्योग आदि विकसित किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि बुन्देलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे डिफेन्स कॉरीडाेर विकसित किया जाएगा। इच्छुक निवेशकों ने अब फिर से राज्य सरकार से संपर्क किया है, वे तुरंत पैसा निवेश करके काम जल्द से जल्द शुरू करने के इच्छुक हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का काम आधा हो गया है। गंगा एक्सप्रेस का काम भी शुरू हो रहा है जो देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे होगा। उन्होंने बताया कि शुरुआत में राजस्व की कमी दिखी थी लेकिन अब सब कुछ ठीक हो रहा है। हम लोग आर्थिक समृद्धि की दिशा में बढ़ रहे हैं
एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया कि प्रवासी श्रमिकों के कारण उत्तर प्रदेश में कोरोना का संकट बढ़ा है। पहले केवल 24 जिले ही संक्रमित थे लेकिन प्रवासी मजदूरों के आगमन के बाद 73 जिलों में संक्रमण के मामले निकले हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई से लौटने वाले 75 प्रतिशत, दिल्ली से लौटने वाले 50 प्रतिशत तथा अन्य राज्यों से लौटने वाले 25 से 30 प्रतिशत श्रमिक कोरोना से संक्रमित पाये गये हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन श्रमिकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है। आमतौर पर जिन रोगियों को संक्रमण से मुक्त होने में 14 से 20 को समय लगता है, इन श्रमिकों की रिपोर्ट छह से 8 दिन में ही निगेटिव आ जा रही है।

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