मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ने जा रही हैं। उत्तर प्रदेश की आईपीएस लॉबी योगी आदित्यनाथ की सरकार से बुरी तरह नाराज है। इस सरकार में विभिन्न कारणों से अब तक 15 आईपीएस अधिकारी निलंबित किये जा चुके हैं। इनमें आठ बहाल किये जा चुके हैं, जबकि सात अभी भी निलंबित चल रहे हैं।
आईपीएस लॉबी की नाराजगी इस बात को लेकर है कि डीजीपी भी जोरदार तरीके से आईपीएस अधिकारियों का पक्ष नहीं रख पा रहे हैं और आईएएस अधिकारी भारी पड़ रहे हैं। हाल ही में योगी सरकार ने प्रयागराज के एसएसपी अभिषेक दीक्षित एवं महोबा के आईपीएस मणिलाल पाटीदार को सस्पेंड कर दिया है। दीक्षित पर कानून व्यवस्था संभालने में असफल रहने और पाटीदार पर अवैध वसूली का आरोप था। इन दोनों अधिकारियों ने पहले सरकार ने आटा के ठेका दिलवाने वाले रैकेट का सहयोग करके वसूली करने के आरोप में आईपीएस दिनेश दुबे तथा अरविंद सेन को निलंबित कर दिया। योगी सरकार में सस्पेंड होने वाले पहले आईपीएस हिमांशु कुमार थे, जिन्हें सोशल मीडिया में सरकार के खिलाफ लिखने पर सस्पेंड किया गया था। उन्हें बाद में बहाल कर दिया गया। सबसे बुरा सलूक एडीजी लेबल के आईपीएस अधिकारी जसबीर सिंह के साथ सरकार ने किया है। अनुशासनहीनता के आरोप में उन्हें ढाई साल से निलंबित रखा गया है। सहारनपुर के एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे, संभल के एसपी आरएम भारद्वाज, प्रतापगढ़ के एसपी संतोष कुमार सिंह, देवरिया एसपी रोहन पी कनय को विभिन्न आरोपों में निलंबित कर दिया गया। बाराबंकी के एसपी सतीश कुमार को 65 लाख रुपये वसूली के आरोप में सस्पेंड किया गया। थानाप्रभारियों के तबादले पोस्टिंग में वसूली के आरोप में बुलंदशहर के एसएसपी एन कोलांचि तथा कानून व्यवस्था संभालने में असफल रहने पर प्रयागराज के एसएसपी अतुल शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया। आचरण नियमावली के खिलाफ जाने पर गौतमबुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण को सस्पेंड कर दिया गया। कानुपर के संजीत हत्याकांड में लापरवाही बरतने पर ट्रेनी आईपीएस अपर्णा गुप्ता को सरकार ने सस्पेंड कर दिया था। आईपीएस अधिकारियों में सरकार के रवैये से अंदरखाने जबर नाराजगी है। उन्हें इस बात की तकलीफ है कि आईएएस लॉबी अपने अधिकारियों को बचा ले रही है, लेकिन सीनियर आईपीएस अधिकारी अपने कैडर के मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। उन्हें तमाम मामलों में बलि का बकरा बनाया जा रहा है।