रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई ने पूर्व चीफ इंजीनियर व एक क्लर्क को दबोचा

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 1500 करोड़ रुपये के लखनऊ के गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में सिंचाई विभाग के पूर्व चीफ इंजीनियर रूप सिंह यादव को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में सबसे पहली गिरफ्तारी रूप सिंह यादव की हुई है।

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सीबीआई ने उन्हें गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है। दूसरी गिरफ्तारी क्लर्क राजकुमार यादव की हुई है।जिसे सीबीआई ने लखनऊ से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को सीबीआई ने कोर्ट में पेश किया, जहां से कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। सीबीआई ने आरोपियों की पुलिस कस्टडी रिमांड की अर्ज़ी दी है। मामले में पता चला है कि जल्द ही कई और लोगों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं। यूपी में योगी सरकार ने घोटाले की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने घोटाले की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। जिसके बाद रूप सिंह यादव समेत सिंचाई विभाग के कई इंजीनियर, ठेकेदारों के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी।

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यूपी सरकार ने बाद में ये मामला सीबीआई को भेज दिया था, जिसके बाद 24 नवंबर 2017 को सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। करोड़ों के इस घोटाले में रूप सिंह यादव के खिलाफ ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की एफआईआर दर्ज की थी. पिछले साल रूप सिंह यादव की संपत्ति भी ईडी ने अटैच की थी।गौरतलब है कि गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। 95 फ़ीसदी बजट जारी होने के बाद भी 40 फीसदी काम अधूरा ही रहा। मामले में 2017 में योगी सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। आरोप है कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था। पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था। मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई। जांच रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेज दिया। इस मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाना में 8 के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया। इसके बाद नवंबर 2017 में भी ईओडब्ल्यू ने भी जांच शुरू कर दी। दिसंबर 2017 मामले की जांच सीबीआई चली गई थी, उसके बाद सीबीआई ने केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।यही नहीं मामले में दिसंबर 2017 में ही आईआईटी की टेक्निकल जांच भी की गई। इसके बाद सीबीआई जांच का आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया। गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़ें इंजीनियरों पर दागी कम्पनियों को काम देने, विदेशों से मंहगा समान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विेदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है। इस मामले में 8 इजीनियरों के खिलाफ पुलिस, सीबीआई और ईडी मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है। इनमें तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं। यह सभी सिंचाई विभाग के इंजीनियर हैं, जिन पर जांच चल रही है।

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