योऽनेन विधिना श्राद्धं कुर्याद् वै शान्तमानस: ।
व्यपेतकल्मषो नित्यं याति नावर्तते पुन: ।।
जो शान्तमन होकर विधिपूर्वक श्राद्ध करता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर जन्म-मृत्यु के बन्धन से छूट जाता है। ……………………………………………………………………………..कूर्म पुराण
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