विजय का शास्त्र है गीता- संत  प्रमोद दास जी महाराज

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लखनऊ। इंदिरानगर, शिवाजी पुरम स्थित भागवत आश्रम में मुमुक्षु सेवा मिशन ट्रस्ट के संस्थापक पूज्य संत  प्रमोद दास जी महाराज ने सप्त दिवसीय गीता ज्ञान सत्संग का बुधवार को शुभारम्भ करते हुए कहा कि विजय का शास्त्र है गीता।
संत श्री ने कहा कि समाज के कल्याण में सनातन धर्म के तीन ग्रंथों का बड़ा ही महत्व है। पहला है रामायण। रामायण जी नीति का ग्रंथ है। जीवन के प्रारम्भ में यदि नीव नीति की बन जाए तो शेष सारा जीवन सभल जाता है। दूसरा है महाभारत। महाभारत के भीतर ही श्रीमद भगवत गीता जी मिलती हैं। जो जीवन की घोर प्रतिकूलताओं को भी जीतने की योग्यता प्रदान करती है।
तीसरा ग्रंथ है भागवत। मानव यहां पर प्राप्त वस्तुओं व्यक्तियों को छोड़कर मरना नहीं चाहता जो स्वाभाविक है। लेकिन मरना तो पड़ेगा ही। तो जीवन रहते ही सब कुछ त्याग  पूर्वक कैसे जीवन जिया जाए इसका उपाय भागवत जी बताती है।
आज के सतसंग का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर  भृगु नाथ शुक्ला, पार्षद ने तथा व्यास पूजन आरती में  भारतीय शर्मा, अंजनी शर्मा , अनिल चैबे  विनोद राय,  आदि उपस्थित हुए।
ट्रस्ट के सचिव अमरनाथ ने बताया यह सतसंग ( दो गज दूरी, मास्क जरूरी ) करोना नियमों के साथ  8 दिसम्बर तक प्रतिदिन सायं 4ः30बजे से होगा।
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