मनोज श्रीवास्तव, लखनऊ। अयोध्या के विवादित ढांचा मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह लखनऊ में स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश हुए। इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा कि मैं निर्दोष हूं और मुझे राजनीतिक द्वेष से फंसाया गया।
लखनऊ में विवादित ढांचा मामले में स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यपाल कल्याण सिंह 3 घंटे की लंबी सुनवाई के बाद बाहर निकलते ही कहा कि मैं निर्दोष हूँ।उन्होंने कहा कि राजनीतिक द्वेष के चलते मुझे फंसाया गया और मेरे खिलाफ मुकदमा किया गया। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
कल्याण सिंह ने बताया, ‘समय-समय पर संबंधित प्रशासन के अधिकारियों को विवादित ढांचे की सुरक्षा हेतु स्थिति के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए थे।उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते मैंने और मेरी सरकार ने अयोध्या के विवादित ढांचे की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे’।कल्याण सिंह ने आगे कहा, ‘पूरे प्रकरण में तत्कालीन केंद्र की सरकार के इशारे पर राजनीतिक द्वेष से मेरे विरुद्ध झूठे और निराधार आरोप लगाकर मुझे गलत फंसाया गया और मैं निर्दोष हूं’। बता दें कि 28सालों से अयोध्या स्थित श्रीरामजन्मभूमि पर स्थापित विवादित ढांचे के विध्वंस में आरोपित पूर्व राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सोमवार को लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए। कल्याण सिंह सीआरपीसी की धारा 313 के तहत अपना बयान दर्ज कराये। चर्चा है कि सीबीआई कोर्ट में आरोपियों के बयान दर्ज होने के बाद विवादित ढांचा विध्वंस केस में 31 अगस्त तक फैसला आ सकता है। एक और आरोपी जयभान सिंह पवैया ने भी सीबीआई की विशेष कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराने के बाद कहा है कि अगर राम काज के लिए उन्हें कोई कुर्बानी देनी पड़ी तो वह इसके लिए तैयार हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा दिया गया था। इस मामले में माननीय शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे व बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं को आरोपी बनाया गया था। जिसमें लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, जयभान सिंह पवैया समेत कई और बड़े नेता शामिल थे। इन सभी ने अदालती कार्रवाई का सामना किया। कई साल से चल रहे इस केस में कुछ आरोपियों की मृत्यु भी हो चुकी है। अब यह सुनवाई अंतिम दौर में मानी जा रही है जिसके तहत आरोपियों के बयान दर्ज हो रहे हैं।विवादित ढांचा गिराने के मामले में करीब 32 लोग आरोपी बनाए गए थे। उमा भारती को खराब स्वास्थ्य के चलते व्यक्तिगत पेशी से छूट मिली थी। जबकि जयभान सिंह पवैया अदालत की सुनवाई के दौरान पेश होते रहे हैं।इसी साल फरवरी 1993 में जयभान सिंह के ग्वालियर स्थित घर पर सीबीआई ने छापा मार कार्रवाई की थी।ये कवायद ढांचे की ईंट तलाशने के लिए की गई थी, लेकिन सीबीआई घर से उसे तलाश नहीं पाई थी।सीबीआई की तरफ से बनाए गए 49 आरोपियों में से अशोक सिंघल,गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, वैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महत्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल का निधन हो चुका है।19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया था।